सशक्त हस्ताक्षर की 43वीं काव्य गोष्ठी में प्रवाहित हुई साहित्यिक रसधारा

जबलपुर(छत्तीसगढ़ उजाला)
चंचल बाई महाविद्यालय में सशक्त हस्ताक्षर की 43वीं काव्य गोष्ठी साहित्यिक उल्लास और भावनात्मक अभिव्यक्तियों के बीच सानंद सम्पन्न हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव ‘प्यासा’ ने अपनी ओजस्वी वाणी से अतिथियों के स्वागत के साथ किया। सरस्वती वंदना का सुमधुर पाठ तरुणा खरे ने किया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि शिक्षाविद् डॉ. संध्या शुक्ल (मंडला) रहीं, जबकि अध्यक्षता शिक्षाविद् अरविंद कुमार शुक्ल ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में सुशील श्रीवास्तव, डॉ. प्रतीक्षा सेठी, समाजसेवी विजय खरे उपस्थित रहे।
सारस्वत अतिथि के रूप में राजेश पाठक ‘प्रवीण’, मंगलभाव सलाहकार कवि संगम त्रिपाठी एवं सी. पी. वैश्य की गरिमामय उपस्थिति ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। स्वागत में महेश स्थापक, दिवाकर शर्मा, डॉ. आनंद त्रिपाठी एवं ऋषिराज रैकवार ने सहभागिता की।
गोष्ठी का शुभारंभ कवयित्री शिवानी भगत की अकेलेपन पर आधारित भावुक रचना से हुआ। उमा खरे एवं सुवीर श्रीवास्तव की नज़्मों ने श्रोताओं से खूब तालियाँ बटोरीं।
शिवानी खरे, तरुणा खरे, जी.एल. जैन और जयप्रकाश श्रीवास्तव ने अपनी सशक्त रचनाओं और प्रभावी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इन्द्राना से पधारे प्रकाश सिंह ठाकुर ने तरन्नुम में रचना प्रस्तुत कर विशेष सराहना पाई। राजकुमारी राज ने हिंदी भाषा के महत्व और उसके स्थान पर विचार रखे, वहीं मदन श्रीवास्तव ने समाज में व्याप्त विडंबनाओं पर तीखा प्रहार किया।
सुभाष मणि वैरागी, अमर सिंह वर्मा और सुशील श्रीवास्तव ने मंच को अपने शब्दों से सजाया। रजक की कुंडलियों ने श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया।
सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ के गीत ने शब्द, भाव और गेयता के माध्यम से अलग छाप छोड़ी। भेड़ाघाट से पधारे कुंजीलाल चक्रवर्ती ‘निर्झर’ ने जगन्नाथ प्रभु का भजन गाकर वातावरण भक्तिमय बना दिया।
उर्मिला श्रीवास्तव ने दादी पर आधारित मार्मिक रचना प्रस्तुत कर टूटते संयुक्त परिवारों पर गहरी वेदना व्यक्त की।
युवा कवि अम्लान गुहा नियोगी ने ओजस्वी रचना भारत माता – वंदेमातरम् के माध्यम से देशभक्ति की भावना को प्रखर किया। डॉ. सुरेन्द्रलाल साहू ‘निर्विकार’ की दार्शनिक रचना और मनोज शुक्ल ‘मनोज’ का गीत भी विशेष सराहा गया।
मंचीय कवयित्री वंदना सोनी ‘विनम्र’ ने अपनी प्रस्तुति से मंच लूट लिया, जबकि संदीप खरे ‘युवराज’ ने महारानी लक्ष्मीबाई पर वीर रस से ओतप्रोत रचना पढ़कर श्रोताओं में जोश भर दिया।
कार्यक्रम के अंत में मंचासीन अतिथियों ने भी अपनी रचनाओं से काव्य गोष्ठी को ऊँचाई प्रदान की।
संचालन गणेश श्रीवास्तव ने किया एवं आभार प्रदर्शन मदन श्रीवास्तव ने किया।



