गौरेला पेंड्रा मरवाही

*जीपीएम जिले की पर्यटन समिति में विवादित नियुक्ति, प्रशासन पर उठे सवाल, पर्यटन प्रेस और पत्थरों का खेल -*

छत्तीसगढ़ उजाला

 

मरवाही/जीपीएम (छत्तीसगढ़ उजाला)। जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) में पर्यटन समिति के गठन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि समिति में ऐसे व्यक्ति को सदस्य बनाया गया है, जिस पर वर्षों से मरवाही क्षेत्र के एक आदिवासी एवं वन्यजीव संरक्षित इलाके में अवैध क्रेशर संचालन से जुड़े होने के आरोप लगते रहे हैं।

जानकारी के अनुसार जिस क्षेत्र में क्रेशर संचालित होने की बात कही जा रही है, वह भालू (स्लॉथ बियर) संरक्षण क्षेत्र के अंतर्गत आता है। ऐसे में वन और पर्यटन संरक्षण से जुड़े पद पर इस तरह की पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति की नियुक्ति पर कई सवाल उठने लगे हैं।

स्थानीय स्तर पर यह भी चर्चा है कि उक्त व्यक्ति ने खुद को पत्रकार बताते हुए लंबे समय से इस क्षेत्र में प्रभाव बनाया हुआ है। आरोप यह भी लगाए जा रहे हैं कि पर्यटन समिति में उसकी नियुक्ति किसी पारदर्शी या लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत नहीं हुई, बल्कि सीधे तौर पर प्रशासनिक स्तर पर उसे यह जिम्मेदारी सौंप दी गई।

इतना ही नहीं, यह भी कहा जा रहा है कि इसी पद की आड़ में संबंधित क्षेत्र में पर्यटन विकास के नाम पर जंगल क्षेत्र में गतिविधियाँ बढ़ी हैं, जिससे पर्यावरण और वन्यजीवों पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है।

मामले को लेकर जिला प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध गतिविधियों की शिकायतों के बावजूद प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे यह संदेह गहराता है कि कहीं न कहीं प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है।

बताया जा रहा है कि संबंधित व्यक्ति द्वारा लगातार प्रशासन के पक्ष में अख़बारों की कतरनों और प्रशंसात्मक सामग्री का प्रचार किया जाता रहा है, जिसके बाद उसे पर्यटन समिति में स्थान मिला। हालांकि प्रशासन की ओर से इस संबंध में अब तक कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है।

पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो न केवल पर्यटन समिति की नियुक्ति रद्द की जाए, बल्कि संरक्षित वन क्षेत्र में हो रही गतिविधियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाए।

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