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खबर का असर: फवारा चौक के अवैध भवन पर शिकंजा कसता प्रशासन, तीन विभागों ने बताया नियम विरुद्ध


बैकुंठपुर(छत्तीसगढ़ उजाला)
शहर के फवारा चौक क्षेत्र में खसरा नंबर 155/2 की भूमि पर किए गए कथित अवैध भवन निर्माण को लेकर प्रकाशित खबर का असर अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। शिकायत और मीडिया रिपोर्ट के बाद प्रशासन हरकत में आया है। राजस्व विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर गहन जांच की और 5 से 6 अहम बिंदुओं पर प्रतिवेदन तैयार करते हुए भवन स्वामी से संबंधित सभी दस्तावेज तलब किए हैं।

राजस्व अभिलेखों के अनुसार संबंधित भूमि पर केवल 1546 वर्गफीट क्षेत्रफल में मकान निर्माण की अनुमति स्वीकृत थी, जबकि स्थल निरीक्षण में यह सामने आया कि लगभग 3400 वर्गफीट से अधिक क्षेत्र में निर्माण कर लिया गया है। स्वीकृत नक्शे और वास्तविक निर्माण में भारी अंतर को लेकर राजस्व विभाग ने गंभीर आपत्ति दर्ज की है और निर्माण को स्पष्ट रूप से नियम विरुद्ध मानते हुए आगे की कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जेल विभाग ने भी आपत्ति दर्ज कराई है। विभाग का कहना है कि जेल के ठीक सामने इस तरह का ऊंचा और विस्तृत भवन निर्माण सुरक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। सुरक्षा मानकों के तहत जेल परिसर के आसपास सीमित और नियंत्रित निर्माण की अनुमति होती है, ताकि किसी भी प्रकार की सुरक्षा चूक की आशंका न रहे। जेल विभाग ने इस महत्वपूर्ण पहलू को भी अपनी रिपोर्ट में शामिल करने की बात कही है।

वहीं नगर तथा ग्राम निवेश विभाग (टीएनसीपी) ने साफ किया है कि संबंधित भवन का अब तक नियमितीकरण नहीं हुआ है। विभाग के अनुसार भूमि उपयोग परिवर्तन (डायवर्सन) और निर्माण अनुमति से जुड़ी फाइल अब भी लंबित है और किसी प्रकार की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है। बिना पूर्ण अनुमति के किया गया निर्माण छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है।

नियमों के अनुसार,

स्वीकृत नक्शे से अधिक क्षेत्र में निर्माण,बिना नियमितीकरण भवन खड़ा करना,तथा संवेदनशील क्षेत्र (जेल के समीप) में सुरक्षा मानकों की अनदेखी,इन सभी को अवैध निर्माण की श्रेणी में रखा गया है। ऐसे मामलों में प्रशासन को निर्माण पर रोक, सीलिंग, जुर्माना, अथवा आवश्यकता पड़ने पर आंशिक या पूर्ण ध्वस्तीकरण तक की कार्रवाई करने का अधिकार है।

अब जब राजस्व विभाग, जेल विभाग और नगर तथा ग्राम निवेश विभाग—तीनों ने अलग-अलग आधारों पर भवन निर्माण को नियम विरुद्ध ठहराया है, तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि प्रशासन आगे क्या ठोस कार्रवाई करता है। फिलहाल पूरा शहर इस मामले पर नजरें टिकाए हुए है और यह देखना अहम होगा कि नियमों की कसौटी पर अवैध निर्माण के खिलाफ वास्तव में सख्त कदम उठाए जाते हैं या नहीं।

प्रशांत गौतम

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