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कलेक्टर को ‘उत्कृष्ट विकास’ का पुरस्कार, लेकिन राजमेरगढ़ में विकास खुद गुमशुदा!


रायपुर/राजमेरगढ़(छत्तीसगढ़ उजाला)-: –  छत्तीसगढ़ के 33 जिलों में शामिल गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम), जो राज्य का 28वां जिला है, को हाल ही में उत्कृष्ट पर्यटन विकास के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार मिला है। 27 सितंबर, विश्व पर्यटन दिवस पर रायपुर में आयोजित समारोह में कलेक्टर ने यह सम्मान ग्रहण किया लेकिन सवाल उठ रहा है कि जिस राजमेरगढ़ के नाम पर यह पुरस्कार मिला, वहाँ विकास दिखाई क्यों नहीं देता?

कागज़ों में स्वर्ग, ज़मीन पर वीरान राजमेरगढ़ : –


पुरस्कार जिस टूरिज्म साइट 2025 के लिए दिया गया, वह स्थल आज भी अधूरे कामों और उपेक्षा की मिसाल है। राजमेरगढ़ की तलहटी में टूटी सड़कों, अधूरे भवनों और बिखरी निर्माण सामग्री के बीच लोग कह हैं फाइलों में यहाँ स्वर्ग बना दिया गया, पर ज़मीन पर बस वीरानी है। स्थानीय का कहना है कि न सड़क पूरी हुई, न ठहरने की व्यवस्था, न कोई ईको-टूरिज्म ढांचा। यहाँ तक कि मूलभूत सुविधाएँ भी गायब हैं।

रमन से भूपेश तक , एक कहानी : –


राजमेरगढ़ का विकास पहली बार रमन सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ था, जब इसे मिनी अमरकंटक बनाने के नाम पर करोड़ों का बजट स्वीकृत हुआ। पर नतीजा अधूरे ढांचे, टूटे मोटेल, और आज जंगल के बीच खड़े कंक्रीट के खंडहर। फिर भूपेश बघेल सरकार आई।
पूर्व मुख्यमंत्री खुद यहाँ पहुँचे और प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखते हुए ईको-टूरिज्म के लिए 7 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया।
लेकिन यहाँ भी कंक्रीट का जंगल ही खड़ा हुआ और वह भी अधूरा।

एनजीटी के आदेश की अनदेखी : –


नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि राजमेरगढ़ जैसे संवेदनशील पर्यावरणीय क्षेत्र में कंक्रीट निर्माण नहीं होगा।
बावजूद इसके, नियमों की अवहेलना करते हुए यहाँ करोड़ों की परियोजनाएँ शुरू की गईं, जो अब अधूरी और निष्प्राण पड़ी हैं।

कलेक्टर को पुरस्कार, जनता पूछ रही क्यों?


राजधानी में जब मंच से उत्कृष्ट विकास का पुरस्कार ग्रहण हुआ, उसी वक्त राजमेरगढ़ की पहाड़ियों से आवाज़ उठी क्या यह पुरस्कार जनता की उम्मीदों से बड़ा है? क्या अधूरा विकास ही उत्कृष्टता कहलाएगा? जहाँ भ्रष्टाचार और लापरवाही की जांच होनी चाहिए थी, न कि उन्हीं योजनाओं के लिए सम्मान।

भूमाफिया सक्रिय, प्रशासन मौन


राजमेरगढ़ की भूमि अब रायपुर – बिलासपुर तक के भूमाफियाओं की निगाह में है। अवैध कब्जे और पेड़ों की कटाई की शिकायतें लगातार आ रही हैं, लेकिन जिला प्रशासन पुरस्कारों में व्यस्त है, निगरानी में नहीं।


विकास दिखे, तभी पुरस्कार सही कहलाए”


राजमेरगढ़ में जो दिखता है, वह काग़ज़ों से बिल्कुल उलट है। करोड़ों के बजट के बाद भी यहाँ न सड़क पूरी हुई, न पर्यटन ढांचा, और न ही पर्यावरणीय सुधार,पुरस्कार मिल गया, पर अब भी जनता का सवाल गूंज रहा है

विकास कहाँ?

प्रशांत गौतम

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