सिम्स में मशीनें क्यों नहीं? जेम पोर्टल पर बिड कम आने से प्रक्रिया रुकी — सीजीएमएससी का हाईकोर्ट में बयान

बिलासपुर(छत्तीसगढ़ उजाला)-सिम्स और सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्थाओं को लेकर चल रही जनहित याचिका की सुनवाई में हाईकोर्ट ने मशीन ख़रीदी में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाया है। सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज़ कॉरपोरेशन (सीजीएमएससी) की ओर से बताया गया कि जेम पोर्टल पर टेंडर प्रक्रिया तभी आगे बढ़ती है जब 3 से अधिक बोलीदाता मिलते हैं, लेकिन इस बार कम बोलियां आने के कारण प्रक्रिया अटक गई है।
इस पर मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने सीजीएमएससी के प्रबंध निदेशक से शपथपत्र के साथ विस्तृत जानकारी पेश करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को निर्धारित की है।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि—
15 करोड़ रुपये की स्वीकृति होने के बावजूद
सिम्स, बिलासपुर में उच्च तकनीक वाली मशीनें अब तक उपलब्ध नहीं जिससे मरीजों के उपचार में गंभीर दिक्कतें
इसके बाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया था।
18 सितंबर 2025 के आदेश में कोर्ट ने स्पष्ट कहा था—
> सभी हितधारक समन्वय बनाकर जल्द से जल्द खरीद प्रक्रिया पूरी करें
ताकि आम जनता को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके।
सिम्स के डीन, स्वास्थ्य सचिव और सीजीएमएससी के MD द्वारा प्रस्तुत शपथपत्रों को कोर्ट पहले ही गंभीरता से देख चुका है।
🔹 अब अगला कदम
टेंडर प्रक्रिया में आई रुकावटों का लिखित स्पष्टीकरण कोर्ट में पेश करना होगा
देरी की जिम्मेदारी पर भी जवाब देना पड़ सकता है




