वन विभाग में बढ़ता भ्रष्टाचार: सहायक कर्मचारी और उसका खास आदमी कर रहे अवैध वसूली

जी.पी. एम. (छत्तीसगढ़ उजाला)-वन परिक्षेत्र पेंड्रा में भ्रष्टाचार, दबंगई और अवैध वसूली का खेल खुलेआम चल रहा है। इस पूरे नेटवर्क के केंद्र में वन परिक्षेत्र के एक सहायक कर्मचारी का नाम सामने आ रहा है, जिनके इशारों पर विभाग के कुछ कर्मचारी सक्रिय बताए जाते हैं।
सूत्रों के अनुसार, विभाग में दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्यरत एक कर्मचारी को इस सहायक का बेहद खास और विश्वसनीय माना जाता है। विभागीय लेनदेन, फील्ड की डीलिंग और अवैध वसूली जैसे काम वही संभालता है। सहायक कर्मचारी का नाम लेकर सभी डील्स वही तय करता है और स्थानीय स्तर पर वही “उनकी आवाज़” बनकर घूमता है।
हाल ही में बहुजन समाज पार्टी के सदस्य तापेश्वर मरावी की गाड़ी को दुर्गा मंदिर के पास इसी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी ने रोक लिया। ट्रैक्टर में नीलगिरि की लकड़ी लोड थी। बताया गया कि उसने सहायक कर्मचारी का नाम लेकर 500 रुपये की मांग की, और पैसा मिलते ही वाहन को जाने दिया।
यह कोई एक घटना नहीं है—सेमल, बाबुल, महुआ और अन्य प्रजातियों की लकड़ी को भी लगातार जंगल से बाहर भेजे जाने की बातें सामने आ रही हैं। इन अवैध गतिविधियों के पीछे सहायक कर्मचारी और उसके विश्वस्त दैनिक वेतनभोगी की मिलीभगत बताई जा रही है।
पूर्व में भी वनोपज जांच नाका पेंड्रा में इन दोनों पर अवैध वसूली व अनियमितताओं के आरोप लग चुके हैं। यही नहीं, प्रधानमंत्री ग्रीन क्रेडिट योजना के तहत परिसर लाटा और परिसर पेंड्रा में भी वित्तीय गड़बड़ी और धांधली का संदेह व्यक्त किया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि सहायक कर्मचारी अवैध आरा मिलों को संरक्षण देता है और अधीनस्थ कर्मचारियों पर दबाव बनाकर काम करवाता है। अक्सर यह कहते सुना जाता है “ऊपर तक सब मैनेज है, मुझे किसी का डर नहीं।”
इंदिरा गार्डन में चल रहे निर्माण कार्यों में भी वित्तीय अनियमितताओं की चर्चा जोरों पर है।
स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने वन विभाग में व्याप्त इन भ्रष्टाचार मामलों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, ताकि ऐसे भ्रष्ट कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई संभव हो सके।




