*सामाजिक दंश बहिष्कार : डीएसपी साहब को शादी करना पड़ा महंगा, इस बात पर समाज हुआ नाराज*
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बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। जमाना भले ही बदल जाये पर कुछ सामाजिक कुरीति बदल नहीं रही है। इसका खामियाजा समाज व्यक्ति के साथ ही समाज को भुगतना पड़ रहा है। ऐसा ही मामला छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर से आया है। यहां पर डीएसपी परिवार को सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलना पड़ रहा है।
कोटा थाना क्षेत्र में एक पुलिस उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) और उनके परिवार का अंतरजातीय विवाह करने पर समाज से बहिष्कार करने का मामला सामने आया है। समाज के अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने समाज की बैठक कर बहिष्कार का फरमान सुनाया और विरोध करने पर परिवार के सदस्यों को गाली-गलौज व जान से मारने की धमकी दी। पीड़ित की शिकायत पर कोटा पुलिस ने समाज के पदाधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया है। मामला सतगढ़ तंवर समाज से जुड़ा है।
समाज ने बताई अपनी नियमावली
कोरबा के ग्राम नुनेरा निवासी जो डॉ. मेखलेंद्र प्रताप सिंह (वर्तमान में आसमां सिटी सकरी निवासी) वर्तमान में कांकेर में नक्सल आपरेशन में डीएसपी के पद पर पदस्थ हैं। उन्होंने सरगुजा जिले के ग्राम बरगवा की युवती से अंतरजातीय विवाह किया है।
इस विवाह को लेकर सतगढ़ तंवर समाज के पदाधिकारियों ने विरोध जताया और समाज की बैठक बुलाकर डॉ. सिंह और उनके परिवार का बहिष्कार करने का निर्णय लिया। समाज ने अपनी नियमावली में अंतरजातीय विवाह को अपराध की श्रेणी में रखा है।
28 अप्रैल को जारी हुआ बहिष्कार आदेश
बैठक के बाद समाज के लेटरपैड पर 28 अप्रैल 2025 को आदेश जारी कर डीएसपी डॉ. सिंह और उनके स्वजन को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया। जब उनके भाई-बहनों ने इसका विरोध किया तो समाज के पदाधिकारियों ने उन्हें गाली-गलौज कर जान से मारने की धमकी दी। आरोप है कि समाज के कुछ सदस्यों ने पीड़ित परिवार को सामाजिक कार्यक्रमों से अलग-थलग करने की भी साजिश रची।
क्या कहते हैं डीएसपी डॉ. सिंह
मैं, डॉ. मेखलेन्द्र प्रताप सिंह पिता स्व. चन्द्रभान सिंह आसमां सिटी बिलासपुर में रहता हूं। मैंने विगत 25 अप्रैल 2025 को ग्राम बरगवां जिला सरगुजा की लड़की से सामाजिक रीति-रिवाज से विवाह किया। सरगुजा समाज से विवाह हमारे समाज के पदाधिकारियों ने व्यक्तिगत दुश्मनी के चलते प्रतिबंधित किया था, जबकि उक्त समाज और हमारे सतगढ़ तवर समाज का पिछले 100 वर्ष से रिश्ता रहा है।
समाज के अध्यक्ष मनोहर प्रताप सिंह ने व्यक्तिगत दुश्मनी को भुनाते हुए विवाह के तत्काल बाद दिनांक 29-04-25 को आदेश जारी कर मुझे समाज से बहिष्कृत कर दिया। इसके बाद मेरे परिवारजनों व रिश्तेदारों को भी लगातार प्रताड़ित किया।
दिनांक 14-05-25 को ग्राम – मानिकपुर चौकी बेलगहना में बैठक बुलाकर मेरे दीदी – जीजा जी को अपमानित किया गया एवं समाज से बहिष्कृत करने की धमकी देते हुए श्रवण सिंह एवं महेन्द्र पाल सिंह ने उनके साथ गाली-गलौज किया। उसके बाद वीरेन्द्र कुमार सिंह व उक्त लोगों ने दीदी – जीजा जी को सामाजिक कार्यक्रमों में बुलाना बंद करवा दिया।
एसडीओपी कोटा के पास इसकी शिकायत करने पर इन लोगों ने एफआइआर व अन्य कार्रवाई से बचने के लिए माननीय हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे माननीय व्यायालय ने खारिज कर दिया। इसके बाद भी प्रताड़ना कम नहीं होने से मुझे विवश होकर थाना-कोटा में एफआइआर दर्ज करवानी पड़ी। साथ ही मैंने ज्वाइंट डायरेक्टर एजुकेशन से इस संबंध में पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है, क्योंकि आरोपी अध्यक्ष मनोहर प्रताप सिंह पेशे से बलौदा में प्राचार्य हैं एवं वीरेन्द्र कुमार सिंह चैतमा (कोखा) में शिक्षक है।
कोटा थाना में एफआईआर जांच जारी
बता दें कि पीड़ित डीएसपी की बहन व अन्य सदस्य कोटा थानाक्षेत्र के बेलगहना में रहते हैं, उन्होंने कोटा थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। थाना प्रभारी तोप सिंह नवरंग ने बताया कि समाज के अध्यक्ष मनोहर प्रताप सिंह, विरेन्द्र कुमार सिंह, श्रवण सिंह, महेन्द्र पाल सिंह सहित अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।
शादी में शामिल होने वाले पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई की चेतावनी
समाज ने तय किया है कि डॉ. सिंह के विवाह समारोह में शामिल होने वाले पदाधिकारियों और सदस्यों की भी जांच की जाएगी। उनके नाम सार्वजनिक कर समाजिक सम्मेलनों में शामिल होने से वंचित किया जाएगा। समाज के दंड विधान के तहत ऐसे सदस्यों पर सामाजिक प्रतिबंध लगाने का प्रावधान रखा गया है।