*हाईकोर्ट ने पूंछा क्यों नहीं डिजिटल फोरेंसिक लैब छत्तीसगढ़ में, सरकार को दिया निर्देश*
छत्तीसगढ़ उजाला

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से जुड़े विशेषज्ञों और प्रयोगशाला की अनुपलब्धता को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने मामले को सुना।
खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया। साथ ही पूछा कि डिजिटल फोरेंसिक लैब और विशेषज्ञ क्यों नहीं हैं? कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता शिरीन मालेवर ने अधिवक्ता रुद्र प्रताप दुबे और गौतम खेत्रपाल के माध्यम से जनहित याचिका दाखिल की थी।
याचिका में कहा गया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 63(4) के तहत इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों को प्रमाणित करने बुनियादी सुविधाएं आवश्यक हैं। मगर, न कोई विशेषज्ञ है और न मान्यता प्राप्त डिजिटल फोरेंसिक प्रयोगशाला।
केंद्र सरकार ने क्या कहा
हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को डिजिटल फोरेंसिक प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए योजना का प्रारूप और आवश्यक दिशा-निर्देश भेजे थे।
इसमें आईटी अवसंरचना, उपकरणों की स्थापना और प्रशिक्षित कर्मियों की आवश्यकता का जिक्र किया गया था। राज्य सरकार को नोडल अधिकारी नियुक्त करने और अपनी प्रयोगशालाओं को मान्यता दिलाने आवेदन करने को कहा गया था।
कोर्ट ने दिए सख्त निर्देश, विशेषज्ञ पर भी बताना होगा
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से शपथपत्र दाखिल कर यह स्पष्ट करें कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की जांच के लिए आवश्यक विशेषज्ञों और प्रयोगशाला की स्थापना क्यों नहीं की गई? साथ ही, केंद्र सरकार के पत्रों का जवाब अब तक क्यों नहीं दिया गया, इसका भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च 2025 को निर्धारित की है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को तत्काल विशेषज्ञों की नियुक्ति के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए थे, जिस पर केंद्र ने शपथपत्र दाखिल कर अपनी प्रक्रिया की जानकारी दी है।
देशभर में 16 जगहों पर नियुक्त हुए विशेषज्ञ
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि केंद्र सरकार द्वारा देशभर में 16 स्थानों पर इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के विशेषज्ञों की नियुक्ति की गई है। मगर, छत्तीसगढ़ में अब तक किसी विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं हुई है।
आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79-ए के तहत प्रदेश में किसी भी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य परीक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है। इससे डिजिटल फोरेंसिक मामलों की जांच प्रभावित हो रही है।
राज्य सरकार की देरी पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि राज्य सरकार को 19 मार्च 2021 को ईमेल और 10 मार्च 2025 को पत्र के माध्यम से जानकारी दी गई थी। मगर, अब तक केंद्र सरकार के पत्रों का कोई जवाब नहीं दिया गया।
इस पर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार से 2021 के पत्र का जवाब व्यक्तिगत रूप से देने और देरी का कारण स्पष्ट करने का निर्देश दिया।