मरवाही वन मंडल में अवैध वसूली और लकड़ी तस्करी का आरोप, पेंड्रा वन परिक्षेत्र अधिकारी पर ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप

जी. पी. एम. (छत्तीसगढ़ उजाला)-मरवाही वन मंडल में वन विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर कठघरे में है। पेंड्रा वन परिक्षेत्र अधिकारी पर अवैध वसूली, लकड़ी तस्करी को संरक्षण देने और ग्रामीणों के शोषण जैसे बेहद गंभीर आरोप सामने आए हैं। ग्राम पंचायत शेखवा मड़ई, पटेराटोला और आसपास के इलाकों में इन आरोपों को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि वन परिक्षेत्र अधिकारी स्वयं गांवों में पहुंचकर लोगों से लाखों रुपये की अवैध वसूली कर चुके हैं और यह सिलसिला अब भी जारी है। बताया जा रहा है कि किसी घर की लड़की को “अवैध” बताकर डराने-धमकाने के माध्यम से वसूली की गई, वहीं ईंट भट्ठा संचालकों से भी लगातार पैसे लिए जा रहे हैं। इससे गांव के लोग मानसिक और आर्थिक रूप से पूरी तरह त्रस्त हो चुके हैं।
सूत्रों और ग्रामीणों के अनुसार, रात के समय प्रतिबंधित वन संपत्ति, खासकर लकड़ी का अवैध परिवहन खुलेआम हो रहा है। आरोप है कि यह पूरा खेल वन परिक्षेत्र अधिकारी के संरक्षण में चल रहा है। ट्रैक्टरों के जरिए जंगल से लकड़ी निकालकर शहर के एक खास आरा मिल तक पहुंचाई जाती है, जिसे अधिकारी से जुड़ा बताया जा रहा है। इसी आरा मिल से उन्हें मोटी रकम मिलने की चर्चा क्षेत्र में आम है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब ट्रैक्टर चालकों से पूछताछ की जाती है तो वे बेझिझक कहते हैं—“साहब से बात कर लो”, जिससे पूरे नेटवर्क में अधिकारी की कथित भूमिका साफ झलकती है। इस अवैध गतिविधि का गुस्सा कई बार मौके पर मौजूद वन रक्षकों पर निकल रहा है, जबकि वे खुद इस पूरे तंत्र से अनजान या असहाय बताए जा रहे हैं।
इस पूरे मामले ने मरवाही वन मंडल में फैले कथित भ्रष्टाचार को एक बार फिर उजागर कर दिया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और जिला प्रशासन इन गंभीर आरोपों पर संज्ञान लेकर निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराएंगे, या फिर यह मामला भी दबा दिया जाएगा।
फिलहाल शेखवा मड़ई, पटेराटोला सहित पूरे क्षेत्र के ग्रामीण प्रशासन की कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं और उम्मीद जता रहे हैं कि इस बार दोषियों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।




