मदरसा बोर्ड का फर्जी सदस्य बनने का मामला: पूर्व पार्षद शाहिद राइन पर FIR दर्ज, पुलिस जांच में बड़ा खुलासा

जी. पी. एम. (छत्तीसगढ़ उजाला)-वरिष्ठ कांग्रेस नेता परवेज़ सिद्दिकी द्वारा की गई लिखित शिकायत के आधार पर पूर्व पार्षद शाहिद राइन के विरुद्ध स्वयं को छत्तीसगढ़ राज्य मदरसा बोर्ड, रायपुर का सदस्य बताकर फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग करने के गंभीर आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आरोपी शाहिद राइन ने स्वयं को मदरसा बोर्ड का सदस्य दर्शाते हुए राजकीय प्रतीक चिन्ह अशोक स्तंभ (तीन शेर) का अवैध प्रयोग किया। आरोप है कि उन्होंने कपटपूर्वक फर्जी एवं कूटरचित लेटर पैड तैयार कर उनका उपयोग किया तथा शासकीय लोकार्पण पट्टिकाओं में अपना नाम “शाहिद राइन (सदस्य, छत्तीसगढ़ राज्य मदरसा बोर्ड, रायपुर)” अंकित कराया। इसके अतिरिक्त, अपने निज निवास के सामने भी राजकीय प्रतीक चिन्ह का प्रयोग करते हुए छत्तीसगढ़ शासन के नाम की पट्टिका लगाकर आम जनता, शासकीय कर्मचारियों एवं अधिकारियों को गुमराह किया।
इस पूरे मामले को लेकर शिकायतकर्ता परवेज़ सिद्दिकी ने थाना प्रभारी पेंड्रा सहित उच्चाधिकारियों को लिखित शिकायत प्रस्तुत की थी। जांच उपरांत आरोप प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध पाए जाने पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 170 के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विवेचना में लिया है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी द्वारा सरकारी व सामाजिक स्तर पर अनुचित लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया गया।
पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मामले की निष्पक्ष एवं गहन जांच की गई है तथा जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर ही विधिसम्मत कार्रवाई की गई है। प्रशासन का कहना है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और दोष सिद्ध होने पर आरोपी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता परवेज़ सिद्दिकी ने कहा कि फर्जी दस्तावेज़ों और झूठी पहचान के माध्यम से सार्वजनिक संस्थाओं की गरिमा को ठेस पहुँचाना गंभीर अपराध है। ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कदम उठाए जाना अत्यंत आवश्यक है ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार का कृत्य करने का साहस न कर सके।
विधि विशेषज्ञों से चर्चा के उपरांत यह भी सामने आया है कि इस प्रकरण में आईपीसी की धारा 170 के अतिरिक्त धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (गंभीर जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज़ का वास्तविक रूप में उपयोग) तथा राजकीय प्रतीक चिन्ह (अनुचित प्रयोग प्रतिषेध) अधिनियम, 2005 की धारा 3 भी आरोपित की जा सकती हैं।
फिलहाल पुलिस मामले की विवेचना कर रही है और आने वाले दिनों में और भी अहम खुलासों की संभावना जताई जा रही है।



