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छत्तीसगढ़ कोल लेवी घोटाला: मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी के करीबी नवनीत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत

रायपुर(छत्तीसगढ़ उजाला)-छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 570 करोड़ रुपए के कोयला लेवी घोटाले से जुड़े मामले में बड़ा मोड़ आया है। घोटाले के प्रमुख आरोपियों में शामिल नवनीत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई के बाद उन्हें जमानत प्रदान कर दी। नवनीत तिवारी पिछले चार माह से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद थे।


क्या है मामला? कोल लेवी सिंडिकेट में सक्रिय भूमिका का आरोप

नवनीत तिवारी, मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में आरोपी कारोबारी सूर्यकांत तिवारी के रिश्ते के भाई हैं।
ईडी और EOW की संयुक्त जांच में नवनीत को अवैध कोयला लेवी सिंडिकेट का अहम सदस्य बताया गया है। आरोप है कि—

वह रायगढ़ जिले के कोल व्यवसायियों और ट्रांसपोर्टरों से करोड़ों की अवैध वसूली करता था।

वसूली गई रकम को नियमित रूप से रायपुर स्थित नेटवर्क तक पहुंचाया जाता था।

नवनीत पर सूर्यकांत तिवारी की बेनामी संपत्तियों के प्रबंधन में भी शामिल होने का शक है।

2022 से फरार, 2025 में गिरफ्तारी

ईडी ने 2022 में ही उसे आरोपी बनाया था, जिसके बाद वह लंबे समय तक फरार रहा।
जुलाई 2025 में EOW ने उसे रायगढ़ में गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी वारंट और लगातार छापों के बावजूद वह कई महीनों तक भूमिगत रहा था।

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

सुनवाई के दौरान आरोपी पक्ष के वकील शशांक मिश्रा ने तर्क दिया कि—

नवनीत की गिरफ्तारी परिस्थिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है।

वह जांच में पूरा सहयोग देना चाहता है।


दलीलों पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नवनीत को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ रिहाई का निर्देश दिया है।

क्या है छत्तीसगढ़ का 570 करोड़ का कोयला घोटाला?
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यह घोटाला कोयले के परिवहन, परमिट, पीट पास और खनन से जुड़ी अवैध वसूली से संबंधित है।
ईडी का दावा: राज्य में लगभग 570 करोड़ रुपए की अवैध वसूली की गई।

घोटाला कैसे चलता था?

कोयला परिवहन के लिए तैयार ऑनलाइन परमिट सिस्टम को ऑफलाइन कर दिया गया।

यह आदेश 15 जुलाई 2020 को तत्कालीन खनिज निदेशक आईएएस समीर विश्नोई ने जारी किया।

इसके बाद रायगढ़, कोरबा व अन्य क्षेत्रों में ट्रांसपोर्टरों से 25 रुपये प्रति टन की वसूली शुरू हुई।

रकम सूर्यकांत तिवारी नेटवर्क तक पहुंचाई जाती थी।

बदले में परमिट और पीट पास बिना रोक-टोक जारी किए जाते थे।

अवैध कमाई से संपत्तियाँ खरीदी गईं व राजनीतिक फंडिंग की गई।

प्रशांत गौतम

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