पतगवा पंचायत में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी: सड़कें तबाह, मुरुम घोटाला उजागर; सरपंच प्रतिनिधियों पर मनमानी के आरोप, शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं

जी. पी. एम. (पतगवा)-वर्षों से विकास की अनदेखी झेल रही पतगवा पंचायत में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। अधूरे काम, फर्जी प्रगति, भारी भ्रष्टाचार और मनमानी के आरोपों ने पूरे गांव में आक्रोश फैला दिया है। ग्रामीणों ने सरपंच के परिजनों और प्रतिनिधियों पर बिना काम किए वसूली करने, विकास कार्यों को लटकाने और जनता की समस्याओं को अनदेखा करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
ग्रामीणों का आरोप — “बीमार सरपंच की जगह परिजन पंचायत चला रहे हैं”
गांव के लोगों का कहना है कि सरपंच के अस्वस्थ होने का फायदा उठाकर पंचायत की पूरी बागडोर उनके परिजनों और प्रतिनिधियों के हाथों में चला गई है।
ग्रामीण आरोप लगाते हैं कि—
विकास कार्यों की जगह वसूली पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है,
पंचायत में काम बहुत कम हुए हैं,कागज़ों में फर्जी प्रगति दिखाई जा रही है,अधूरे कामों को पूरा दिखाकर भुगतान निकाला जा रहा है।
मुरुम घोटाले ने बढ़ाया आक्रोश — जमीन पर 40-50 ट्रिप, बिल में 147 ट्रिप!
गांव में सबसे बड़ा गुस्सा मुरुम डंपिंग को लेकर है।
ग्रामीणों के अनुसार—
➡ “जहां सड़कें गड्ढों से भरी हैं, वहां 40-50 ट्रिप मुरुम गिराकर 147 ट्रिप का बिल निकालने की तैयारी की गई।”
ग्रामीणों ने कहा कि—
➡ “अगर सच में सड़कें बनानी होतीं, तो हर वार्ड में कम से कम 100 ट्रिप मुरुम भी कम पड़ता। लेकिन यहां दिखावा कुछ और, बिल कुछ और बनाया जा रहा है।”
पुराने प्रतिनिधियों पर भी आरोप, नए पर भी वही रवैया — “गांव ने बदला, लेकिन हालात नहीं बदले”
गांव वालों का कहना है कि पिछले कार्यकाल में भी—जेब भरने की प्रवृत्ति थी,मनमाने व्यक्तियों को काम बांटे गए,पंचायत निधि का दुरुपयोग होता रहा।
लोगों ने इसलिए पिछली टीम को बाहर कर बदलाव किया, लेकिन नई पंचायत आने के बाद भी हालात नहीं बदले।
ग्रामीणों का कहना है—
➡ “नई टीम ने भी आते ही वही पुरानी लीक पकड़ ली। गांव को विकास की उम्मीद थी, लेकिन फिर वही भ्रष्टाचार शुरू हो गया।”
“पैसा लगाया है तो निकालना पड़ेगा”— बयान ने बढ़ाया गुस्सा
ग्रामीणों के अनुसार पिछले और वर्तमान दोनों प्रतिनिधि कई बार यह कहते सुने गए—
➡ “चुनाव में पैसा लगाया है, तो वापस निकालना पड़ेगा।”
यह बयान ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है—
✔ क्या पंचायत पद सेवा का माध्यम है या पैसा वसूली का?
✔ हमेशा गांव ही क्यों नुकसान झेले?
पंचायत में विकास सिर्फ कागज़ों में — सड़कें बदहाल, वार्डों का हाल खस्ताहाल
20 वार्डों वाली इस पंचायत में सड़कों की हालत बेहद खराब है। कई जगह तो सड़कें पूरी तरह गायब हो चुकी हैं।
ग्रामीण तंज कसते हैं—
➡ “गड्ढे हमको दिखते हैं, लेकिन सरपंच प्रतिनिधियों की नजर सिर्फ बिल पर रहती है।”
शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं — प्रशासन पर भी सवाल
गांव के एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता ने 28 नवंबर को जनपद CEO को लिखित शिकायत सौंपी थी।
लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
लोग सवाल उठाते हैं—
क्या शिकायत को दबा दिया गया?
क्या भ्रष्टाचार को बचाया जा रहा है?
क्या अधिकारी भी मौन समर्थन दे रहे हैं?
ग्रामीणों का कहना है—
➡ “कार्रवाई न होना बताता है कि गड़बड़ी ऊपर तक फैली है।”
ग्रामीणों की मांग — उच्च स्तरीय जांच और कठोर कार्रवाई
गांव के लोगों ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच, मुरुम घोटाले की तकनीकी जांच और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है—
➡ “जब तक ऐसे लोगों को पंचायत व्यवस्था से दूर नहीं किया जाएगा, पतगवा का विकास नामुमकिन है।”




