
जशपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। जिले के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र से सामने आया यह मामला अब पुलिस जांच, न्यायिक प्रक्रिया और सिस्टम – तीनों के लिए एक सनसनीखेज पहेली बन गया है। जिस युवक सीमित खाखा (30) को पुलिस रिकॉर्ड में मृत घोषित कर उसकी हत्या का खुलासा किया जा चुका था। वहीं युवक शनिवार रात अचानक जिंदा हालत में सिटी कोतवाली थाना पहुंच गया। पुलिस से कहा कि “साहब, मैं जिंदा हूं… मेरी हत्या नहीं हुई है। सीमित को सामने खड़ा देख पुलिस अधिकारी, परिजन और ग्रामीणों के होश उड़ गए। हत्या, गिरफ्तारी, कबूलनामा और जेल सब कुछ एक पल में सवालों के घेरे में आ गया।
तीन माह पहले जंगल में मिली थी अधजली लाश
22 अक्तूबर को पुरनानगर- बालाछापर के बीच तुरीटोंगरी जंगल में एक युवक की अधजली लाश मिली थी। शव एक गड्ढे में पड़ा था, चेहरा और शरीर का अधिकांश हिस्सा जला हुआ था। पुलिस ने मर्ग कायम कर पोस्टमार्टम कराया। रिपोर्ट में मौत हत्यात्मक पाए जाने पर सिटी कोतवाली थाना जशपुर में बी.एन.एस. की धारा 103(1) व 238(क) के तहत हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई।
शराब, विवाद और हत्या की कहानी
पुलिस जांच में सामने आया कि सीमित खाखा मजदूरी के लिए झारखंड गया था। उसके साथ गए साथी लौट आए, लेकिन सीमित नहीं आया। पुलिस के अनुसार, 17 अक्टूबर को सीमित अपने साथियों के साथ जशपुर लौटा, जहां बांकी नदी पुलिया के पास शराब पार्टी के दौरान कमीशन को लेकर विवाद हुआ। आरोप है कि इसी दौरान रामजीत राम ने चाकू से वार किया और विरेंद्र राम ने लोहे की रॉड से हमला किया। हत्या के बाद शव को जंगल में फेंककर पेट्रोल डालकर जला दिया।
मजिस्ट्रेट के सामने पहचान, कबूलनामा और फिर जेल
अधजली लाश की पहचान कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सीमित की मां, पिता और भाई ने सीमित खाखा के रूप में की। पुलिस ने “सीन ऑफ क्राइम” का फॉरेंसिक रिक्रिएशन कराया। आरोपियों के बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हुए, जहां उन्होंने हत्या स्वीकार की। वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई गई। इस मामले में कुल पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
शनिवार रात हत्या की पूरी कहानी पलट गई
शनिवार 20 दिसंबर की रात वह पल आया, जिसने पूरी जांच को उलट दिया। ग्राम पंचायत सिटोंगा की सरपंच कल्पना खलखो के साथ सीमित खाखा खुद सिटी कोतवाली थाना पहुंच गया। सरपंच ने बताया कि सीमित झारखंड से आने वाली बस से उतरा था। ऑटो चालक ने उसे पहचान लिया और फोन कर सूचना दी कि जिस युवक की हत्या के आरोप में लोग जेल में हैं, वो युवक जिंदा है और मेरी ऑटो में बैठा है।
सीमित का दावा – “मैं तो मजदूरी कर रहा था”
सीमित खाखा ने पुलिस को बताया कि रांची पहुंचने के बाद वह अपने साथियों से बिछड़ गया और गिरिडीह जिले के सरईपाली गांव में खेतों में मजदूरी करने लगा। उसके पास मोबाइल नहीं था, इसलिए किसी से संपर्क नहीं कर सका। क्रिसमस मनाने घर लौटते ही यह सनसनीखेज सच्चाई सामने आ गई।
अब पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि जिस युवक को मरा हुआ मानकर हत्या का केस सुलझाया गया। वही जिंदा खड़ा है तो फिर जंगल में मिली अधजली लाश आखिर किसकी थी? पुलिस अब इसी सवाल से जूझ रही है। इस अजीबोगरीब मामले में एसडीओपी चंद्रशेखर परमा ने कहा कि पुलिस ने पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया का पालन किया था।
शव की पहचान मजिस्ट्रेट के समक्ष हुई, आरोपियों के बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हुए और सबकी वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है। सीमित के जीवित मिलने के बाद पूरे मामले की नए सिरे से जांच शुरू कर दी गई है और आरोपियों की अस्थायी रिहाई की वैधानिक प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
एसएसपी शशि मोहन सिंह ने बताया कि वास्तविक मृतक की पहचान के लिए राजपत्रित अधिकारी के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई है। जांच जारी है। बहरहाल, यह मामला अब सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि सिस्टम की सबसे बड़ी पहेली बन चुका है। जिसे मरा मानकर इंसाफ की कहानी लिखी गई, वह जिंदा है… और जो सच में मरा, उसकी पहचान आज भी अंधेरे में है।



