गौरेला पेंड्रा मरवाही

मरवाही के कटरा उषाढ़ के जंगलों में खुलेआम जुए का अड्डा, जनप्रतिनिधियों और कुछ पत्रकारों की साठगांठ के आरोप — कार्रवाई से परहेज़ क्यों?



मरवाही(छत्तीसगढ़ उजाला)-मरवाही के कटरा उषाढ़ के जंगलों में खुलेआम जुए का कारोबार लगातार फल-फूल रहा है। हर शाम जंगलों में जुआरियों का जमावड़ा लगता है और लाखों रुपए का लेन-देन होता है। यह सब कुछ पुलिस और प्रशासन की जानकारी में होने के बावजूद बेखौफ चल रहा है, जिससे स्थानीय लोगों में नाराज़गी बढ़ रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि यह जुए का अड्डा अब संगठित रूप ले चुका है। न केवल स्थानीय, बल्कि बाहरी जुआरी भी यहाँ पहुँचते हैं और देर रात तक अवैध खेल चलता है। शराबखोरी और अन्य असामाजिक गतिविधियों ने भी इस क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को चुनौती दे दी है।

खबर प्रकाशित होने के बाद मचा बवाल


हाल ही में जब इस अवैध जुए की खबर प्रकाशित की गई, तो प्रशासन की नींद भले न टूटी हो, लेकिन कुछ “खास लोगों” में हड़कंप मच गया। खबर सामने आने के बाद कुछ जनप्रतिनिधियों और मरवाही क्षेत्र के कुछ तथाकथित पत्रकारों के फोन लगातार आने लगे।

फोन कॉल्स ने खोली ‘साठगांठ’ की परतें


इन जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों का परेशान होना और बार-बार फोन कर दबाव बनाने की कोशिश यह स्पष्ट संकेत देता है कि कटरा उषाढ़ के जंगलों में चल रहे इस बड़े जुए के कारोबार में इनकी गहरी साठगांठ है। सूत्रों के अनुसार, इस पूरे खेल में “पैकेज सिस्टम” तय है — जहाँ से इन लोगों तक मोटी रकम पहुँचती है। यही कारण है कि प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई ठप है और अवैध कारोबार निर्भीकता से जारी है।

ग्रामीणों में बढ़ रहा रोष


ग्रामीणों ने प्रशासन से सवाल किया है कि जब क्षेत्र में खुलेआम जुआ चल रहा है और मीडिया में कई बार इसकी खबरें प्रकाशित हो चुकी हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? लोगों का कहना है कि अब सिर्फ जुआरियों पर नहीं, बल्कि उन्हें संरक्षण देने वाले जनप्रतिनिधियों और उनके सहयोगियों पर भी जांच होनी चाहिए।

अब सबकी निगाहें प्रशासन पर


मरवाही के इस पूरे प्रकरण ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता अब यह जानना चाहती है कि आखिर किन दबावों या रिश्तों के चलते यह अवैध कारोबार लगातार जारी है। क्या प्रशासन सच में अनजान है, या फिर यह सब “संरक्षण की छतरी” के नीचे हो रहा है?

प्रशांत गौतम

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