गौरेला-पेंड्रा-मरवाही : राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर कार्यवाही नदारद — सरकारी जमीन पर फर्जीवाड़े का खेल जारी

सरकारी भूमि पर कुटरचना और मिलीभगत का जाल — कोरबा में दर्ज FIR, जी.पी.एम. में बहाली और बंद फाइलें
पेंड्रारोड तहसील के कोटखर्रा, पडखुरी, मेडुका, पिपरिया, खन्नता सहित कई गांवों में सरकारी जमीन की लूट बेखौफ जारी
सरकारी तंत्र बना निजी साम्राज्य — नाम उछला पटवारी रवि जोगी कुजूर का, मरवाही तहसील में भी गूंज रहा भ्रष्टाचार का किस्सा
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। जिले के राजस्व विभाग में फैला भ्रष्टाचार और अनियमितता अब खुला रहस्य बन चुका है। ग्रामीण इलाकों में शासकीय भूमि, जंगल मद और चारागाह जैसी आरक्षित जमीनों पर अवैध कब्जे और फर्जी दस्तावेजों का खेल लगातार जारी है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि विभागीय स्तर पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
ग्रामीणों का कहना है कि तहसील और पटवारी स्तर पर सांठगांठ के जरिए सरकारी जमीन की सीमाएं (चौहद्दी) बदल दी जाती हैं। इसके बाद फर्जी दस्तावेज तैयार कर निजी लोगों के नाम पर रजिस्ट्री कर दी जाती है। इस पूरे खेल में राजस्व कर्मचारियों से लेकर उच्च अधिकारियों तक की मिलीभगत की चर्चा आम है।
सूत्रों के मुताबिक, कई इलाकों में जंगल मद भूमि पर आलीशान मकान और दुकानें तक बन चुकी हैं, जबकि रिकॉर्ड में वे अब भी शासकीय भूमि के रूप में दर्ज हैं। ग्रामीणों द्वारा बार-बार शिकायत करने के बावजूद जांचें केवल कागजों में ही सिमटकर रह जाती हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब भी कोई नागरिक भ्रष्टाचार की शिकायत करता है, तो विभागीय अमला “रिपोर्ट बनेगी, देखा जाएगा” कहकर मामला ठंडे बस्ते में डाल देता है। इससे अवैध कब्जाधारियों और भ्रष्ट कर्मचारियों के हौसले और भी बुलंद हो गए हैं।
अब जिले के लोगों की निगाहें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के जी.पी.एम. दौरे पर टिकी हैं। बताया जा रहा है कि ग्रामीण प्रतिनिधि और जागरूक नागरिक मुख्यमंत्री से मिलकर पटवारी रवि जोगी कुजूर और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विस्तृत शिकायत पेश करेंगे। अब देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद इस बड़े राजस्व भ्रष्टाचार पर क्या कार्रवाई होती है — क्या केवल आश्वासन मिलेगा या वास्तव में जिम्मेदारों पर गाज गिरेगी।
ग्रामीणों की मांग है कि जिले के राजस्व कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई, और फर्जी चौहद्दी व रजिस्ट्री पर स्थायी रोक लगाए बिना इस जमीन माफिया के नेटवर्क को तोड़ा नहीं जा सकता। जब तक ऐसा नहीं होता, शासकीय भूमि की लूट का यह खेल जारी रहेगा।