गौरेला पेंड्रा मरवाही

पंचायत में मनमानी और भ्रष्टाचार का बोलबाला — सरपंच निष्क्रिय, सचिव संतराम यादव और चहेते ठेकेदारों पर मिलीभगत से करोड़ों के घालमेल के आरोप


जी.पी.एम. (छत्तीशगढ़ उजाला ) – गौरेला-पेंड्रा-मरवाही।
ग्राम पंचायत कुड़कई में भ्रष्टाचार, मनमानी और लापरवाही का ऐसा गठजोड़ सामने आया है जिसने पंचायत व्यवस्था की साख पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। पंचायत की सरपंच  पूरी तरह निष्क्रिय बताई जा रही हैं — उन्हें न योजनाओं की जानकारी है और न विकास कार्यों की प्रगति की चिंता। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि सरपंच का ध्यान सिर्फ चुनाव में लगाए गए धन की वसूली पर है, बाकी पंचायत की व्यवस्था सचिव और ठेकेदारों के हाथ में है।

इसी निष्क्रियता का फायदा उठाकर पंचायत के सचिव संतराम यादव ने अपने चहेते ठेकेदारों और करीबी लोगों के साथ मिलकर पंचायत को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है। पंचायत में अब विकास कार्यों की जगह फर्जी बिलिंग, मनमाने भुगतान और अपूर्ण कार्यों पर राशि आहरण जैसी गतिविधियाँ आम हो गई हैं।

सूत्रों के अनुसार, सचिव और ठेकेदारों की मिलीभगत से कई योजनाओं में केवल कागजी खानापूर्ति की गई है। नाली, सीसी रोड, शौचालय निर्माण और भवन निर्माण जैसे कार्य अधूरे हैं, परंतु उनके पूरे भुगतान पहले ही कर दिए गए।

एक ग्रामीण ने बताया —

> “यहां सारा सिस्टम सचिव संतराम यादव के इशारों पर चलता है। सरपंच को तो पंचायत की गतिविधियों की कोई जानकारी ही नहीं रहती।”



भ्रष्टाचार छिपाने की कोशिश और पुरानी वसूली पर पर्दा

हाल ही में सचिव संतराम यादव ने अपने घोटालों को छुपाने के लिए तात्कालिक ठेकेदार को हटाया और पंचायत में नई वसूली शुरू कर दी। लेकिन पुरानी वसूली का कोई लेखा-जोखा नहीं दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि यह पूरा कदम सिर्फ भ्रष्टाचार को छुपाने और जांच से बचने की चाल है।

पंचायत में पहले भी विवाद खड़ा हुआ था, जब पिता-पुत्र की ठेकेदारी के मामले में फर्जी भुगतान और किस्त राशि न चुकाने की शिकायतें सामने आई थीं। दोनों ने बकाया राशि जमा नहीं की, फिर भी सचिव ने ठेका स्वीकृत किया — जिससे उनकी सीधी मिलीभगत साबित होती है।

वायरल वीडियो और प्रशासन की चुप्पी

ग्रामीणों ने सवाल उठाया है कि आखिर सचिव संतराम यादव अपने किस-किस भ्रष्टाचार को छुपाएंगे और खुद को सही साबित करेंगे?
कुछ साल पहले पंचायत भवन में शराब सेवन करते उनका वीडियो वायरल हुआ था, जिसे उन्होंने झूठा करार देने की कोशिश की थी। अब सवाल यह उठता है कि क्या वे उस पुराने प्रकरण को झूठा साबित करेंगे या अपने भ्रष्ट आचरण पर पर्दा डालने की कोशिश करेंगे?

> “यह सोचनीय विषय है कि इतने आरोपों और पुरानी घटनाओं के बावजूद संतराम यादव पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई,”
ग्रामीणों का कहना है।
लोगों की मांग है कि ऐसे भ्रष्ट और विवादित सचिव को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए, ताकि जांच निष्पक्ष रूप से हो सके और पंचायत में पारदर्शिता बहाल की जा सके।



ग्रामीणों की मांग — उच्च स्तरीय जांच जरूरी

ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत में व्याप्त इस तरह की अनियमितताएं सरकारी धन की खुली लूट हैं। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में यह मामला बड़े घोटाले का रूप ले सकता है।

> “सरपंच मौन, सचिव शासन — यही है कुड़कई पंचायत की असली तस्वीर।”

प्रशांत गौतम

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