गौरेला पेंड्रा मरवाही

मरवाही वनमंडल में भ्रष्टाचार का खुलासा! रेंजर का वायरल ऑडियो “मैं तो लाखों रुपये देकर आया हूं”


जी. पी. एम. (छत्तीशगढ़ उजाला)-छत्तीसगढ़ के मरवाही वनमंडल में भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के गंभीर आरोपों ने वन विभाग की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विभाग में पदस्थ एक रेंजर का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें वह यह कहते सुने जा रहे हैं कि उन्होंने लाखों रुपये देकर पोस्टिंग करवाई है।
यह ऑडियो कथित तौर पर सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक (CCF) प्रभात मिश्रा के कार्यकाल से जुड़ा बताया जा रहा है।
  
     ऑडियो में क्या कहा गया?

वायरल ऑडियो में रेंजर मान सिंह श्याम कथित तौर पर कहते सुने जा रहे हैं —

> “मैं तो डेढ़ लाख रुपये देकर आया हूं, तब जाकर मरवाही में उड़नदस्ता प्रभारी की पोस्टिंग मिली है…”

इस बयान ने पूरे वन विभाग में हलचल मचा दी है।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह वही अवधि थी जब CCF प्रभात मिश्रा बिलासपुर सर्किल में पदस्थ थे और मरवाही वनमंडल उनके अधीन क्षेत्र में आता था।


🔹 कार्रवाई प्रस्ताव के बाद मिली पोस्टिंग, बढ़ा शक

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मान सिंह श्याम की पोस्टिंग से कुछ ही दिन पहले
मुख्य वन संरक्षक प्रभात मिश्रा ने स्वयं उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव प्रधान मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर को भेजा था।
यह प्रस्ताव पत्र क्रमांक/स्था/2570 दिनांक 03 सितंबर 2025 के तहत भेजा गया था,
जिसमें मान सिंह श्याम पर कार्य में लापरवाही और अनियमितता के आरोप लगाए गए थे।

लेकिन हैरानी की बात यह है कि महज पांच दिन बाद,
आदेश क्रमांक/स्था/347 दिनांक 08 सितंबर 2025 के तहत उन्हीं मान सिंह श्याम को मरवाही वनमंडल के उड़नदस्ता प्रभारी पद पर एडवांस पोस्टिंग दे दी गई।
सूत्रों के अनुसार, इस पदस्थापना के एवज में 1.5 लाख रुपये की कथित लेनदेन की बात अब वायरल ऑडियो में खुद रेंजर के मुंह से निकल रही है।

🔹 अन्य कर्मचारियों की बहाली पर भी उठे सवाल

सूत्रों के हवाले से खबर है कि उसी अवधि में निलंबित एक उपवन क्षेत्रपाल को भी रिटायरमेंट से ठीक पहले प्रभात मिश्रा द्वारा बहाल कर दिया गया।
ऑडियो के अनुसार, इन बहालियों में भी ₹3 लाख तक की रकम के लेन-देन की चर्चा विभागीय गलियारों में आम रही।
इसी प्रकार वनरक्षक जिन्हें पौधारोपण में लापरवाही के कारण निलंबित किया गया था,
उनका निलंबन भी मात्र एक दिन में रद्द कर दिया गया।

प्रशांत गौतम

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