बिलासपुर

*पुलिस शब्दकोष से हटाए जाएंगे उर्दू फारसी के 220 शब्द, जैसे अमानत में ख़यानत, मुख्यालय से जारी आदेश पर एस‌एसपी सिंह ने कहा – हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है इसे अमल में लाया जाएगा*

छत्तीसगढ़ उजाला

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। प्रदेश के थानों की लिखापढ़ी से अब फारसी, उर्दू और अन्य भाषा के कठिन शब्दों की जगह हिंदी के सरल शब्दों का उपयोग होगा। पुलिस डिक्शनरी जो शब्द हटाए जाएंगे उनमें खयानत, मौका मुरत्तब सहित 220 शब्द शामिल हैं। इनका हिंदी रुपांतरण होगा। पुलिस मुख्यालय ने इस बदलाव के लिए सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखा है।

अंग्रेजों ने किया था 1861 में पुलिस सिस्टम में उपयोग शुरू

बताया जा रहा है कि 1861 में जब देश में अंग्रेजों ने भारत पुलिस अधिनियम लागू कर पुलिस सिस्टम का गठन किया था उस समय हिंदी भाषी राज्यों में मुगलिया प्रभाव के चलते बोलचाल की भाषा में उर्दू, अरबी और फारसी शब्दों का खूब प्रयोग किया जाता था। अंग्रेजों के इन मिली जुली भाषाओं को सरकारी दस्तावेजों में लिखा पढी की भाषा के तौर पर इस्तेमाल किया।

दरअसल, पुलिस विभाग में अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे उर्दू और फारसी सहित अन्य कठिन शब्द आज भी चलन में हैं। ये शब्द बोलचाल की भाषा में उपयोग नहीं होते हैं, इस कारण कई बार लोग इन्हें समझ भी नहीं पाते। पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि ऐसे 220 शब्दों से पुलिस विभाग परेशान है।

इनका अभी तक हिंदी रुपांतरण नहीं हुआ है। फौती, इस्तगासा, अर्दली, इमदाद, तहकीकात, दफा, इत्तला करना, कलम बंद करना, खाना खुराक, हब्श ख्वाहिश सहित उर्दू, फारसी के कई शब्दों का इस्तेमाल पुलिस की लिखा पढ़ी में हो रहा है। पुलिस अब किसी को पकड़ेगी तो गिरफ्तारी नहीं बताएगी, कहेगी हिरासत या अभिरक्षा में लिया गया है। नकबजनी के बदले पुलिस रिकॉर्ड में गहभेटन या सेंधमारी लिखा जाएगा।
चश्मदीद गवाह को अब प्रत्यक्षदर्शी या साक्षी कहा जाएगा। प्रदेश के डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा के निर्देश पर पुलिस इन शब्दों को हटाने जा रही है।

गृहमंत्री ने गृह विभाग के सचिव को निर्देश दिया है कि पुलिस की कार्यप्रणाली में चलन से बाहर हो चुके शब्दों को हटाकर जनता की समझ में आने वाले शब्दों का उपयोग किया जाए।

पुलिस सीसीटीएनएस में काम कर रही है। उसमें उर्दू और फारसी के शब्द लिखने में परेशानी आती है। लंबे समय से पुलिस में काम करने वाले कांस्टेबल और मुंशी तो रटे हुए शब्द बोलते हैं, पर इनको अधिकतर उर्दू या फारसी शब्दों का अर्थ तक नहीं पता है।

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। लिखा-पढ़ी में हिंदी का उपयोग किया जा सकता है, कहीं मनाही नहीं है। आदेश आया है और इसे जल्द ही अमल में लाया जाएगा।
रजनेश सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बिलासपुर

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