
●छत्तीसगढ़ उजाला●
रायपुर:छत्तीसगढ़ में इस समय मंत्री बनने का खेल चर्चा में बना हुआ है.भाजपा के केंद्र में बैठे नेता ही तय करेंगे कि कौन मंत्री रहेगा और कितने मंत्री रहेंगे.साय सरकार को सत्ता में बैठे करीब सवा साल से ज्यादा समय हो चुके हैं.13 सदस्य वाले मंत्रिमंडल में दो मंत्रियों की जगह आज भी रिक्त पडी हुई हैं. दो मंत्रियों के नाम को लेकर आज भी पार्टी हाई कमान फैसला नहीं कर सकीं हैं.भाजपा की सरकारों में पहले कभी ऐसी परिस्थिति नज़र नहीं आती थी. पर सत्ता सुख की अपेक्षा तो सभी की रहती है.भाजपा के वो विधायक जो मंत्री बनने की लालसा पाले हुए हैं वो अपने गुणा-भाग में लगे हुए हैं.वहीं पार्टी े कार्यकर्ताओं का भी मंत्रियों पर गुस्सा देखा जाने लगा हैं.किसी का काम नहीं हो पा रहा है.मंत्रियों के व्यवहार बदल गए हैं.एक दो मंत्रियों के अलावा कोई मंत्री फोन अटेंड नहीं करते है.इस पर एक शेर भी गजब बैठता है.
कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते….
सूत्रों के अनुसार एक बड़ी जानकारी सुनने में आ रही है कि जो नाम तय होंगे उससे सभी अचंभित हो सकते हैं.नए पुराने विधायक को लेकर फैसला हो सकता है. तीन से पांच मंत्रियों की छुट्टी भी होने की संभावना बताई जा रही है.छुट्टी होने वाले मंत्री भी दिल्ली दरबार जाकर अपना मंत्री पद बचाने में लग गए हैं.सब अपनी व्यवस्था को सही करने में लगे हुए हैं.साय सरकार के एक मंत्री एक बाबा के पास जाकर अपना दुखड़ा भी बता आए है.बाबा ने मंत्री की पत्नी को गुरुवार व्रत रखने की भी सलाह दी है.साथ ही बाबा ने यह भी बताया है कि तुम्हारा समय खराब चल रहा हैं. दान-पुण्य के काम करने की सलाह भी दी है.सुनने में आ रहा है कि मंत्री जी आजकल दान-पुण्य का काम ज्यादा करके अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए है.
खैर सम्भावित मंत्रियों में युवा विधायक खुशवंत साहेब के नाम के साथ ही सरगुजा से रेणुका सिंह और बस्तर से लता उसेंडी व पंडरिया विधायक भावना बोहरा को लिया जा सकता हैं.साथ ही पुराने विधायकों में तीन लोगों को भी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है.महिलाओं को आगे लाने की बात अक्सर मोदी जी भी कहते हैं.वैसे दिल्ली में एक महिला सीएम देकर भाजपा ने महिलाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर ही दी है.इसी तारतम्य में छत्तीसगढ़ की सरकार में तीन महिला मंत्री भी बनायी जा सकती है.वैसे जिन मंत्रियों का खराब प्रदर्शन है उनमें टंकराम वर्मा, लक्ष्मी रजवाड़े,श्याम बिहारी जायसवाल, लखन लाल देवांगन,दयालदास बघेल की चर्चा है.सूत्रों के अनुसार पार्टी हाईकमान के पैमानों से इनमें बदलाव हो सकता है.अगर इन पांचों की छुट्टी अगर होती हैं तो भाजपा अपने सात विधायकों को मंत्री मंडल में लेगी.साथ ही एक विधायक को विधानसभा उपाध्यक्ष भी बनाना बचा हुआ है.इस हिसाब से अगर खेल बना तो आठ विधायकों को सत्ता सुख मिल जाएगा.वैसे राजसत्ता के लिए तो बहुत कुछ होता भी आया है. कब कौन किसको निपटाने में लग जाये इसका कोई ठिकाना नहीं है.वैसे आने वाली नवरात्र में मंत्रियों पर फैसला आने की चर्चा है.