छत्तीसगढ

भाजपा की तेजतर्रार विधायक भावना बोहरा ने जनसंपर्क विभाग के विज्ञापन घोटाले का उठाया मुद्दा…..

●रायपुर छत्तीसगढ़ उजाला●

: छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग के ऊपर पहले भी बड़े आरोप लगते रहे है।यहाँ पदस्थ अफसरों की मनमानी की चर्चा भी अक्सर सुनने में आती है।आज भी पूर्ववर्ती सरकार के समय के अफसर जनसंपर्क में विराजित है।करोड़ो के खेल की चर्चा अकसर यहाँ सुनने व देखने में आती है।विधानसभा सत्र के दौरान पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने जनसंपर्क विभाग में सरकारी विज्ञापन बजट के दुरुपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा विज्ञापन के लिए विगत वर्ष की तुलना में लगभग दोगुनी राशि आवंटित की गई, जो कहीं न कहीं सरकारी धन के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है। उन्होंने इस पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है।

होर्डिंग्स का अनुबंध तीन माह का लेकिन हटाए जाते एक माह में!मामले की जांच सही तरीक़े से हो तो बहुत बड़ा खुलासा हो सकता है…..

१!विधायक भावना बोहरा ने विधानसभा में जनसंपर्क विभाग के विज्ञापन खर्चों को लेकर गंभीर सवाल किए। उन्होंने कहा कि कई शिकायतें मिली हैं कि विज्ञापन हेतु लगाए गए होर्डिंग्स का अनुबंध तो तीन महीने के लिए किया जाता है, लेकिन महज एक महीने में ही उन्हें हटा दिया जाता है। इसके बावजूद पूरा भुगतान किया जाता है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने इस अनियमितता की जांच की मांग करते हुए कहा कि इस मद में हुए सभी भुगतानों की समीक्षा होनी चाहिए।

कितने न्यूज पोर्टल पंजीकृत और कितने को मिला सरकारी विज्ञापन?

भावना बोहरा ने सरकार से यह भी सवाल किया कि प्रदेश में जनसंपर्क विभाग के अंतर्गत कुल कितने समाचार पोर्टल पंजीकृत हैं और कितने राष्ट्रीय समाचार पोर्टल को मान्यता दी गई है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी पूछा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में 31 जनवरी 2025 तक डिजिटल समाचार पोर्टल्स, समाचार पत्रों, टीवी चैनलों और रेडियो स्टेशनों को कितने सरकारी विज्ञापन जारी किए गए और उनकी राशि कितनी थी?

मंत्री का जवाब— न्यूज पोर्टल्स का नहीं होता पंजीकरण, इम्पैनलमेंट किया जाता है

इस सवाल के जवाब में सरकार ने स्पष्ट किया कि जनसंपर्क विभाग द्वारा न्यूज पोर्टल्स का पंजीकरण नहीं किया जाता है, बल्कि उन्हें इम्पैनल किया जाता है। फिलहाल प्रदेश में 243 समाचार पोर्टल इम्पैनल किए गए हैं, लेकिन किसी भी राष्ट्रीय समाचार पोर्टल को इम्पैनल नहीं किया गया है।

सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में अब तक किए गए विज्ञापन खर्चों का ब्योरा भी दिया—

2023-24:

डिजिटल पोर्टल्स पर 67.16 करोड़

समाचार पत्रों पर 147.36 करोड़

टीवी चैनलों पर 140.93 करोड़

रेडियो स्टेशनों पर 5.29 करोड़

2024-25 (31 जनवरी तक):

डिजिटल पोर्टल्स पर 13.16 करोड़

समाचार पत्रों पर 59.20 करोड़

टीवी चैनलों पर 58.52 करोड़

रेडियो स्टेशनों पर 2.71 करोड़

●विज्ञापन खर्च में भारी बढ़ोतरी पर उठे सवाल, जांच की उठी मांग●

भावना बोहरा ने सरकार से सवाल किया कि आखिर क्यों एक साल में विज्ञापन खर्च लगभग दोगुना कर दिया गया? क्या इसका कोई ठोस आधार है या फिर सरकारी पैसे का दुरुपयोग हो रहा है? उन्होंने इस मामले में गहन जांच की मांग की।

विधानसभा में मंत्री ने कहा— जांच कराई जाएगी…..

विधायक के आरोपों के जवाब में मंत्री ने कहा कि यदि होर्डिंग्स या अन्य विज्ञापनों में कोई अनियमितता पाई जाती है, तो उसका परीक्षण कराया जाएगा। सरकार की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि विज्ञापन नियमावली-2019 (संशोधित नियम-2020) के तहत ही विज्ञापनों को स्वीकृति दी जाती है और पिछले एक वर्ष में इस प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

Anil Mishra

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