
●छत्तीसगढ़ उजाला •सियासत•
छत्तीसगढ़ में सत्ता से हटने के बाद कांग्रेस पार्टी का आपसी विवाद खुलकर सामने दिखने लगा है।प्रदेश अध्यक्ष के बदलने का मामला भी सुर्खियों में बना हुआ है चर्चा यह है कि दीपक बैज की जगह किसी नए नेता को कमान सौंपी जाए।सूत्रों के अनुसार टी.एस.बाबा या देवेन्द्र यादव को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है।कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी भी काफी है।एक तरफ बाबा के समर्थकों को ऐसा लगता है की हाईकमान बाबा साहब को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपेगा।वही बाबा के समर्थकों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने भूपेश बघेल को वैसे भी बाहर राज्य की जिम्मेदारी इसी सोच के साथ दी है। अब भूपेश बघेल का छत्तीसगढ़ की राजनीति में कोई भी दखल नही रहेगा।वही कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने मीडिया के सामने एक बड़ा बयान देकर चौका दिया था।
महंत ने कहा था कि अगला विधानसभा चुनाव सिंहदेव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।इस बयान के बाद प्रदेश के नेताओ का बयान भी आ गया था।वही पार्टी के नेताओ का कहना है कि टीएस सिंहदेव शांत नेता है।पार्टी हित पर ही बात करते है। पार्टी लाइन से कभी भी बाहर आकर बयान नही देते है।ईमानदार,सरल और सहज नेता के नाम से टीएस सिंहदेव को प्रदेश में जाना जाता है।अपनी बातों को बिना लागलपेट की जगह साफ लहजे में कहते है। प्रदेश की विष्णु देव सरकार टीएस बाबा की नज़रों में ठीक ठाक काम कर रही है।भूपेश बघेल और बाबा के बीच जैसे भी सम्बन्ध रहे हो वो हमेशा एक कदम आगे बढ़कर ही चले।पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भी टीएस बाबा पर ज्यादा भरोसा है।इसके साथ ही प्रदेश में बाबा के साथ ही देवेन्द्र यादव के नाम की भी काफी चर्चा है।
युवा नेतृत्व देने का नाम अगर आता है तो प्रदेश अध्यक्ष के लिए देवेंद्र यादव के नाम पर भी फैसला हो सकता है।राजनीति नक जानकारों का कहना है कि देवेन्द्र का भिलाई से बाहर जाकर बिलासपुर लोकसभा लड़ना कही न कही फायदेमंद रहा।बलौदा बाजार अग्निकांड मामले में जेल जाने से देवेन्द्र यादव को राजनैतिक फायदा मिल ही गया।भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव जिस दिन जेल से बाहर आये।उस दिन जेल के सामने युवाओ की भीड़ देखकर तो यही लगता है।सैकड़ो की तादाद में देवेंद्र के समर्थकों का हुजूम लगा था।देवेंद्र जेल से बाहर आकर अपने समर्थकों का धन्यवाद देते है।प्रदेश कांग्रेस में देवेन्द्र यादव का राजनीतिक ग्राफ अचानक से काफी बढ़ गया है।छत्तीसगढ़ की राजनीति में ओबीसी का बड़ा खेल है।इस वर्ग पर ही हर पार्टी की राजनीति केन्द्रित रहती है।भाजपा और कांग्रेस दोनों दल इस वर्ग को साधने में लगी रहती है।कुल मिलाकर बाबा बनाम देवेंद्र में से किसी एक को पार्टी हाईकमान प्रदेश संगठन की बागडोर सौप सकता है।वैसे अभी कांग्रेस को निकाय चुनाव में करारी हार भी झेलनी पड़ी है।विष्णुदेव साय सरकार के खिलाफ खड़े होकर पार्टी को एक साथ करना नए अध्यक्ष के लिए इतना आसान भी नही रहेगा।