छत्तीसगढरायपुर

राजकुमार कॉलेज रोड भूमि विवाद—कांग्रेस नेता धुप्पड़ पर बड़ी कार्रवाई, सरकारी भूखंड अवैध रूप से हासिल करने के प्रमाण मिले


नियम विरुद्ध तरीके से शासकीय भूमि हासिल करने पर संभागायुक्त का सख्त आदेश

रायपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)- सिविल स्टेशन स्थित सरकारी भूमि को झूठे तथ्यों और भ्रामक दावों के आधार पर प्राप्त करने के गंभीर मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं रायपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष सुभाष धुप्पड़ के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई है। रायपुर संभाग के संभागायुक्त एवं पीठासीन अधिकारी IAS महादेव कावरे ने विस्तृत जांच रिपोर्ट के आधार पर धुप्पड़ को प्रदत्त भूमि पट्टे को नियम विरुद्ध पाया है और आगे की कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं।

शिकायत और जांच में क्या सामने आया?

शिकायतकर्ता बसंत गिरेपुंजे ने आरोप लगाया था कि सुभाष धुप्पड़ ने स्वयं को विस्थापित व्यक्ति बताकर ब्लॉक नंबर 27, प्लॉट 4/1 का 13,560 वर्गफुट शासकीय भूखंड प्राप्त किया और बाद में उस पर अनुमति से अधिक और व्यावसायिक निर्माण कर लिया।

संभागायुक्त द्वारा गठित पाँच सदस्यीय समिति और नगर निगम की संयुक्त रिपोर्ट में कई गंभीर अनियमितताएँ उजागर हुईं—

मुख्य अनियमितताएँ

धुप्पड़ द्वारा यह सिद्ध नहीं किया जा सका कि वे 31.12.1976 से पूर्व भूमि पर कब्जेधारी थे।

शासन नियमों के अनुसार विस्थापित व्यक्ति के पास अन्यत्र कोई संपत्ति नहीं होनी चाहिए, जबकि धुप्पड़ परिवार के नाम पर चिरहुलडीह, रायपुर में 5484 वर्गफुट का भूखंड पहले से दर्ज पाया गया।

विस्थापित श्रेणी के विपरीत अनुचित रूप से पट्टा प्रदान किया गया।

नगर निवेश विभाग से प्राप्त अनुमति से काफी अधिक निर्माण किया गया।

बेसमेंट, लोअर ग्राउंड और ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग के स्थान पर दुकानें और गोदाम बनाए गए।

ऊपर की मंजिलों पर शोरूम की जगह जिम और कोचिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं।

चौथी मंजिल पर 661 वर्गमीटर का बिना अनुमति अवैध टिन शेड पाया गया।

अनुमत 45% ग्राउंड कवरेज की जगह 50% से अधिक निर्माण, जो नियम विरुद्ध है।


उच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन

मामला पूर्व में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में भी लंबित रहा। कोर्ट ने तीन महीने के भीतर प्रकरण का निस्तारण करने का निर्देश दिया था। लेकिन इसी अवधि में धुप्पड़ द्वारा भूमि का फ्री–होल्ड कराया जाना पाया गया जिसे समिति ने नियमों के विपरीत माना है।

संभागायुक्त का निष्कर्ष

संभागायुक्त महादेव कावरे ने आदेश में स्पष्ट पाया कि—

दस्तावेज

कब्जे का दावा

विस्थापित होने का प्रमाण

निर्माण से जुड़े अनुमतिपत्र


सभी में गंभीर विसंगतियाँ हैं। इस आधार पर पट्टा अवैध माना गया है और आगे की कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।

अब अगला कदम क्या?

अब नजर इस बात पर है कि—

नगर निगम अवैध निर्माण और फ्री–होल्ड प्रक्रिया पर कौन-सी कार्रवाई करता है?

नियम विरुद्ध भूमि को फ्री–होल्ड करने वाले संबंधित अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होती है?


यह पूरा मामला राजकुमार कॉलेज से लगे डगनिया मोड़ के पास स्थित हीरो होंडा शोरूम से जुड़ा है, जहां अवैध निर्माण पाए गए

प्रशांत गौतम

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