SI दिव्या शर्मा ने फर्जी खबर फैलाने वालों को भेजा कानूनी नोटिस — सोशल मीडिया पर झूठी रिपोर्टिंग पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी

रायपुर,(छत्तीसगढ़ उजाला)-
छत्तीसगढ़ पुलिस की उप निरीक्षक (SI) दिव्या शर्मा ने अपने खिलाफ सोशल मीडिया पर प्रकाशित भ्रामक और फर्जी खबर फैलाने वाले इंस्टाग्राम न्यूज पोर्टल मिरर छत्तीसगढ़ की संपादक और एंकर के खिलाफ कानूनी नोटिस जारी किया है।
दिव्या शर्मा ने कहा कि झूठी खबर से उनकी समाज, परिवार और पुलिस विभाग में स्थापित प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति पहुंची है।
नोटिस में संबंधित पक्षों को 10 दिनों के भीतर सार्वजनिक माफी और खबर का खंडन प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया है। ऐसा न करने पर दिव्या शर्मा ने मानहानि का मुकदमा दायर करने की चेतावनी दी है।
क्या है पूरा मामला
15 अक्टूबर को इंस्टाग्राम पोर्टल मिरर छ.ग. पर एक वीडियो प्रकाशित हुआ, जिसमें SI दिव्या शर्मा को “छत्तीसगढ़ की महिला माफिया पुलिस कर्मी, पुलिस विभाग से भी ऊपर” जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया गया।
वीडियो में यह दावा किया गया कि वे रायपुर में दस वर्षों से तैनात हैं और अधीनस्थ कर्मचारियों से अभद्र व्यवहार करती हैं।
हालांकि, हकीकत यह है कि दिव्या शर्मा अपने पूरे पुलिस करियर में सरगुजा, दुर्ग और अब रायपुर में सेवा दे चुकी हैं, और हमेशा वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशानुसार विभिन्न स्थानों पर कार्यरत रहीं हैं।
उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह असत्य और भ्रामक हैं।
कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी और सम्मानित व्यक्तित्व
SI दिव्या शर्मा पिछले 12 वर्षों से छत्तीसगढ़ पुलिस में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
उनकी ईमानदारी और अनुसंधान कार्यों के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं —
“पं. लखनलाल मिश्र पुरस्कार” (2020) – उत्कृष्ट विवेचना के लिए
केंद्रीय गृह मंत्री पदक (2022) – कर्तव्यनिष्ठ सेवा के लिए
तेजस्विनी सम्मान, इंद्रधनुष सम्मान और जोश अवॉर्ड – महिला सशक्तिकरण व सामाजिक योगदान के लिए
उनकी पारिवारिक जिम्मेदारियों और पेशेवर संतुलन की भी विभाग और समाज में सराहना की जाती है।
फर्जी खबरों के खिलाफ सख्त रुख
नोटिस में मिरर छ.ग. के संपादक रॉकी रोहन और समाचार वाचिका सोमा देवांगन को चेताया गया है कि
यदि वे 10 दिनों के भीतर माफी और खंडन प्रकाशित नहीं करते, तो दिव्या शर्मा न्यायालय में मानहानि व हर्जाना दावा दाखिल करेंगी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सोमा देवांगन के खिलाफ पहले से ही कई आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं।
उन पर झूठी रिपोर्टिंग और ब्लैकमेलिंग के आरोप भी लग चुके हैं।
डिजिटल मीडिया की जवाबदेही पर उठा सवाल
यह मामला केवल एक अधिकारी की प्रतिष्ठा से जुड़ा नहीं है, बल्कि डिजिटल पत्रकारिता में जवाबदेही और सच्चाई के सवाल को भी सामने लाता है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रकरण फेक न्यूज़ के खिलाफ एक मिसाल बन सकता है और मीडिया प्लेटफार्मों को जिम्मेदारी की याद दिलाएगा।
लंबे समय से रायपुर में तैनात कर्मियों पर उठे सवाल
इस प्रकरण के बीच यह मुद्दा भी उभर कर सामने आया है कि रायपुर के कई पुलिस अधिकारी और कर्मचारी वर्षों से एक ही थानों में जमे हुए हैं।
सिटी कोतवाली, गंज, उरला, टिकरापारा, गुढ़ियारी और खमतराई जैसे थानों में कुछ उपनिरीक्षक और कांस्टेबल लंबे समय से स्थायी रूप से कार्यरत हैं।
सूत्रों के अनुसार, कुछ अधिकारी स्थानांतरण आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे विभागीय संतुलन और नई नियुक्तियों पर असर पड़ रहा है।
वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि ऐसे अधिकारियों पर अब सख्त कार्रवाई की जा सकती है ताकि पुलिस व्यवस्था में पारदर्शिता और गतिशीलता बनी रहे।