ब्रेकिंग न्यूज

केरल की पहली महिला डीजीपी श्रीलेखा की राजनीति में दमदार एंट्री, तिरुवनंतपुरम निगम चुनाव में भाजपा को बड़ी बढ़त


तिरुवनंतपुरम। केरल की पहली महिला पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रहीं श्रीलेखा ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने सस्थामंगलम वार्ड से विजय हासिल की है। उनकी यह जीत ऐसे समय में सामने आई है, जब राजधानी के नगर निगम पर नियंत्रण को लेकर मुकाबला बेहद रोचक और त्रिकोणीय बना हुआ है।

चुनावी रुझानों के अनुसार, 101 सदस्यीय तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती दिख रही है। पार्टी को अब तक 34 सीटें मिली हैं, जबकि सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट फ्रंट को 20 और कांग्रेस को 16 सीटें प्राप्त हुई हैं। शेष सीटों की गिनती जारी है। भाजपा श्रीलेखा की जीत को राजधानी में वामपंथी किले में सेंध लगाने की दिशा में एक मजबूत और प्रतीकात्मक सफलता मान रही है।

गौरतलब है कि श्रीलेखा इसी वर्ष भाजपा में शामिल हुई थीं। एक वरिष्ठ और प्रतिष्ठित पुलिस अधिकारी का राजनीति में आना कई लोगों के लिए चौंकाने वाला रहा। पार्टी जॉइन करने के बाद उन्होंने स्थानीय निकाय चुनाव में वार्ड सदस्य के रूप में मैदान में उतरने का फैसला किया, जिसने व्यापक ध्यान आकर्षित किया। पुलिस सेवा में उनका करियर लंबा और सम्मानजनक रहा है, और वे केरल की पहली महिला अधिकारी थीं जिन्होंने डीजीपी का सर्वोच्च पद संभाला।

हालांकि, उनका चुनाव प्रचार विवादों से पूरी तरह मुक्त नहीं रहा। मतदान के दिन 9 दिसंबर को उन्होंने सोशल मीडिया पर एक कथित प्री-पोल सर्वे साझा किया था, जिसमें तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को बढ़त मिलने का दावा किया गया था। इस पर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई। केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए कहा कि मतदान के दिन प्री-पोल सर्वे के नतीजे प्रकाशित या साझा करना चुनाव आयोग के नियमों के तहत प्रतिबंधित है। विवाद बढ़ने के बाद श्रीलेखा ने वह पोस्ट अपने सोशल मीडिया अकाउंट से हटा दी थी।

उल्लेखनीय है कि निवर्तमान तिरुवनंतपुरम नगर निगम में 100 वार्डों में से सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट फ्रंट के पास 51 सीटें थीं, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास 35 सीटें थीं। शेष सीटें कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और निर्दलीय उम्मीदवारों के पास थीं। ऐसे में इस बार के चुनावी नतीजे राजधानी की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत दे रहे हैं।

प्रशांत गौतम

Related Articles

Back to top button