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खबर का असर: फौव्हारा चौक शासकीय भूमि अतिक्रमण पर प्रशासन की त्वरित जांच, कार्रवाई को लेकर कई सवाल कायम


बैकुण्ठपुर(छत्तीसगढ़ उजाला)
शहर के फौव्हारा चौक क्षेत्र में बन रहे तीन मंजिला भवन के समीप शासकीय भूमि पर अतिक्रमण को लेकर प्रकाशित समाचार का असर अब साफ नजर आने लगा है। खबर सामने आते ही जिला प्रशासन ने त्वरित संज्ञान लेते हुए राजस्व अमले को मौके पर भेजकर संयुक्त जांच कराई। इस जांच में नगर पालिका, ग्राम एवं नगर निवेश विभाग, जिला जेल प्रशासन और राजस्व नजूल विभाग के अधिकारी शामिल रहे।

संयुक्त जांच में एक बार फिर गंभीर अनियमितताएं उजागर हुईं। संबंधित भवन के लिए जहां 1546 वर्गफीट क्षेत्र में निर्माण की अनुमति दी गई थी, वहीं वास्तविकता में लगभग 3000 वर्गफीट क्षेत्र में निर्माण कर लिया गया है। इतना ही नहीं, शासकीय भूमि पर भी स्पष्ट रूप से अतिक्रमण पाया गया। अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि नजूल विभाग, जिसे यह तथ्य पहले से ज्ञात थे, वह इस गंभीर मामले में ठोस कार्रवाई करेगा या फिर 19 अगस्त 2021 की तरह यह प्रकरण भी फाइलों में ही दबा दिया जाएगा।

इस मामले में जिला जेल विभाग की आपत्ति को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जेल प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जिला जेल के सामने स्थित यह भवन वर्ष 1980 के अधिनियम का उल्लंघन करता है। नियमों के अनुसार जिला जेल से 100 से 200 मीटर की परिधि में किसी भी प्रकार का बहुमंजिला भवन नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे जेल की आंतरिक सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न होता है। इसके बावजूद निर्माण कार्य का लगातार जारी रहना प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।

ग्राम एवं नगर निवेश विभाग ने दस्तावेजों के आधार पर खसरा नंबर 155/2 के नियमितीकरण पर पहले ही रोक लगा दी थी, जो कलेक्टर के आदेश के अनुरूप है। इसके बाद भी निर्माण कार्य किस तरह तेजी से आगे बढ़ा, यह समझ से परे है। वहीं नगर पालिका और राजस्व नजूल विभाग की ओर से अब तक कोई स्पष्ट और सार्वजनिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आने से संदेह और गहराता जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, दो विभागों द्वारा अंदरखाने शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने वाले को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। शहर के जागरूक नागरिकों का कहना है कि जिस भवन में बैंक ऑफ बड़ौदा संचालित हो रहा है, वह भी विवादों में घिरा हुआ है। ऐसे में बैंक ग्राहकों की सुरक्षा और हितों पर भी सवाल उठ रहे हैं। आरबीआई के नियमों के अनुसार किसी विवादित भवन में बैंक संचालन की अनुमति नहीं होनी चाहिए, इसके बावजूद वर्षों से उसी भवन में बैंक का संचालन कई स्तरों पर लापरवाही को उजागर करता है।

एक अहम तथ्य यह भी है कि 19 अगस्त 2021 को नजूल आरआई ने अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट उल्लेख किया था कि खसरा नंबर 155/2 में निर्माण कार्य रोक दिया गया है। इसके बाद भी इतने बड़े पैमाने पर निर्माण कैसे होता रहा, यह जांच का बड़ा विषय है।

श्रम विभाग की चुप्पी भी सवालों के घेरे में

इस पूरे मामले में श्रम विभाग की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। तीन मंजिला भवन में मजदूर बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के काम कर रहे हैं। यदि खबर के आधार पर जिला प्रशासन तुरंत संज्ञान ले सकता है, तो श्रम विभाग अब तक मूकदर्शक क्यों बना हुआ है? क्या विभाग किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है—यह सवाल आमजन के बीच तेजी से उठ रहा है।

फिलहाल मामला जांच के अधीन है, लेकिन जनता की नजरें अब प्रशासन पर टिकी हैं। देखना यह है कि दोषियों पर वास्तविक और सख्त कार्रवाई होती है या फिर यह गंभीर मामला भी कागजी कार्रवाई तक ही सीमित रह जाएगा।

प्रशांत गौतम

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