हाईकोर्ट का कड़ा रुख: दो वरिष्ठ IAS अधिकारियों पर अवमानना, जमानती वारंट जारी

बिलासपुर(छत्तीसगढ़ उजाला)-छत्तीसगढ़ में शासन स्तर पर न्यायालयीय आदेशों की अनदेखी अब वरिष्ठ अधिकारियों को भारी पड़ने लगी है। इसी क्रम में प्रदेश के दो वरिष्ठ IAS अधिकारी — मनोज कुमार पिंगुआ और किरण कौशल — की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाईकोर्ट ने दोनों अधिकारियों को अवमानना मामले में तलब करते हुए आगामी सोमवार को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं, अदालत ने मामले को गंभीर मानते हुए जमानती वारंट भी जारी कर दिया है।
क्या है मामला?
पूरा मामला एक सरकारी कॉलेज के डिमॉन्स्ट्रेटर पद से जुड़े विवाद से संबंधित है। याचिकाकर्ता, जो कि एक शासकीय कर्मचारी है, ने अपने अभ्यावेदन पर कार्रवाई न होने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि राज्य शासन निर्धारित प्रक्रिया अनुसार उसके अभ्यावेदन पर विचार कर आवश्यक आदेश पारित करे।
लेकिन, हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, याचिकाकर्ता द्वारा कई बार अभ्यावेदन और स्मरण पत्र दिए जाने के बाद भी शासन स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दोनों IAS अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की।
अदालत ने जताई कड़ी नाराजगी
शुक्रवार को अवमानना याचिका पर हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने शासन की लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया। न्यायालय ने कहा कि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा न्यायालय के स्पष्ट आदेशों की अवहेलना न्याय व्यवस्था के प्रति असम्मान दर्शाती है, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
अदालत ने टिप्पणी की—
“जब न्यायालय आदेश पारित करता है, तो प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे उसे समय पर और निष्ठा से लागू करें। आदेशों की अनदेखी अवमानना की श्रेणी में आती है।”
अवमानना अधिनियम के तहत कार्रवाई संभव
अदालत ने याद दिलाया कि अवमानना अधिनियम, धारा 12 के तहत अवमानना सिद्ध होने पर संबंधित व्यक्ति को
2,000 रुपये तक का जुर्माना,
छह महीने की सजा,
या दोनों सजा एक साथ दी जा सकती है।
इसी प्रावधान के तहत कोर्ट ने IAS मनोज पिंगुआ और IAS किरण कौशल को नोटिस जारी किया है।
अगली सुनवाई पर टिकी निगाहें
हाईकोर्ट के सख्त रुख से यह संदेश साफ है कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा न्यायालयीय आदेशों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह मामला शासन के सभी अधिकारियों के लिए भी एक सख्त चेतावनी है कि न्यायालय के निर्देश सर्वोपरि हैं और उनके पालन में लापरवाही किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं है।
अब निगाहें सोमवार की सुनवाई पर हैं, जब दोनों IAS अधिकारी व्यक्तिगत रूप से हाईकोर्ट में पेश होंगे। उनके जवाब पर अदालत अपनी अगली कार्रवाई तय करेगी।




