“इंदौर हुआ शर्मसार: स्वच्छता का शहर, असुरक्षा की राजधानी?”
नंबर वन शहर की पहचान पर उठा सवाल

इंदौर(छत्तीसगढ़ उजाला)-देश का सबसे स्वच्छ शहर एक शर्मनाक घटना के कारण इस बार गलत वजहों से सुर्खियों में है। ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटर्स के साथ हुई बदसलूकी ने न सिर्फ इंदौर की साख को धूमिल किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया कि महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की भी सामूहिक जिम्मेदारी है।
इंदौर, जो स्वच्छता में वर्षों से देश में नंबर वन रहा है, अब सवालों के घेरे में है — क्या सफाई सिर्फ सड़कों तक सीमित रह गई है? सोच की गंदगी कब साफ होगी?
देवी अहिल्या की नगरी में नारी सम्मान को ठेस
देवी अहिल्या बाई होल्कर की नगरी के रूप में विख्यात इंदौर में महिलाओं के प्रति सम्मान की परंपरा रही है। ऐसे में विदेशी महिला खिलाड़ियों के साथ हुई यह घटना अकल्पनीय और दुखद है। यह केवल एक अपराध नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक मानसिकता और सामाजिक सोच पर गहरी चोट है।
आरोपी पर पहले से थे आरोप, फिर भी खुला घूमता रहा
घटना के आरोपी अकील को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बताया जा रहा है कि वह आदतन बदमाश है, बावजूद इसके वह खुलेआम घूमता रहा। यह स्थिति शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है।
बीसीसीआई और एमपीसीए की जिम्मेदारी भी कटघरे में
बीसीसीआई और एमपीसीए की ओर से सुरक्षा इंतजामों के दावे जरूर किए गए, लेकिन अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ हुई यह शर्मनाक घटना उनके दावों की पोल खोल देती है। सवाल उठता है — जब विश्वस्तरीय मेहमान सुरक्षित नहीं, तो आम महिलाएं कैसे सुरक्षित महसूस करें?
सियासी बयानबाजी ने बढ़ाई शर्मिंदगी
घटना के बाद नेताओं और संगठनों की बयानबाजी ने माहौल को और विचलित कर दिया है। यह समय राजनीति का नहीं, आत्ममंथन का है।
सफाई ही नहीं, सोच में भी नंबर वन बनने का वक्त
इंदौर ने स्वच्छता के क्षेत्र में देश को दिशा दी है। अब जरूरत है कि वह महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान में भी उदाहरण बने।
क्योंकि शहर की असली पहचान उसकी सड़कों की नहीं, बल्कि उसके संस्कारों की स्वच्छता से होती है।




