गौरेला पेंड्रा मरवाही

जिला अस्पताल गौरैला बना ‘रेफर सेंटर’, डॉक्टरों का ध्यान प्राइवेट क्लिनिक पर ज्यादा


जी. पी. एम.:-कहने को गौरैला में जिला अस्पताल संचालित है, लेकिन हकीकत में यह अस्पताल नाम का ‘जिला अस्पताल’ बनकर रह गया है। हालात ऐसे हैं कि यहां आने वाले अधिकांश मरीजों को बेहतर इलाज तो दूर, प्राथमिक उपचार के बाद सीधे रेफर कर दिया जाता है। लोगों में चर्चा है कि जिला अस्पताल अब इलाज का केंद्र कम और ‘रेफर सेंटर’ ज्यादा बन गया है।

अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों से जनता को अपेक्षा रहती है कि वे अपनी जिम्मेदारी निभाएं, लेकिन यहां तस्वीर उलट है। कई डॉक्टरों का ध्यान जिला अस्पताल से ज्यादा अपने निजी क्लिनिक की ओर रहता है। नतीजतन मरीजों को अस्पताल में पर्याप्त सुविधाएं और इलाज नहीं मिल पाता।

गंभीर स्थिति यह है कि जिन सेवाओं की वजह से मरीज जिला अस्पताल आते हैं, वे यहां उपलब्ध ही नहीं होतीं। न तो पर्याप्त जांच की सुविधा है और न ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की जवाबदेही तय है। ज्यादातर मरीजों को रेफर करके बाहर भेज दिया जाता है।

स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि जब डॉक्टर अपनी सरकारी ड्यूटी को निभाने की बजाय निजी क्लिनिक में समय दे रहे हैं, तब जिला अस्पताल के अस्तित्व का औचित्य ही खत्म हो जाता है। गरीब और दूरदराज से आने वाले मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है।

लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जिला अस्पताल गौरैला की लापरवाह व्यवस्था पर तत्काल सख्त कार्रवाई हो। अन्यथा यह अस्पताल ‘जिला अस्पताल’ के नाम से चलकर भी हमेशा के लिए ‘रेफर सेंटर’ बनकर रह जाएगा।

प्रशांत गौतम

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