गौरेला पेंड्रा मरवाही

*स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों का खेल मास्टरमाइंड लेब टेक्नीशियन और सीएमएचओ पर कार्रवाई टली, स्वास्थ्य मंत्री सवालों के घेरे में*

छत्तीसगढ़ उजाला

 

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही (छत्तीसगढ़ उजाला)।  जिले के स्वास्थ्य विभाग में हुए कथित करोड़ों के घोटाले पर कार्रवाई का पारा ठंडा पड़ता जा रहा है। निचले स्तर के कुछ अधिकारियों को बलि का बकरा बनाया गया, लेकिन पूरे खेल के मास्टरमाइंड माने जा रहे लेब टेक्नीशियन और सीएमएचओ पर गाज गिराने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई।

29 जुलाई 2025 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जीपीएम द्वारा जारी पत्र (क्रमांक 595) खुद इस बात की पुष्टि करता है कि लेब टेक्नीशियन के खिलाफ केवल संयुक्त संचालक को एक औपचारिक पत्र भेजा गया है। यह वही लेब टेक्नीशियन है, जिसके बारे में विभाग में चर्चा है कि वह सीएमएचओ से भी ऊपर का रसूख रखता है और वर्षों से जीपीएम में जमे हुए हैं। आरोप तो यहां तक हैं कि वह खुद को स्वास्थ्य मंत्री का रिश्तेदार बताकर फैसलों पर असर डालता है और मंत्री को इसकी पूरी जानकारी है। फिर भी चुप्पी! क्या यह राजनीतिक वरदहस्त का नतीजा है?

तीन सीएमएचओ पर भी कार्रवाई लंबित
घोटाले में केवल एक लेब टेक्नीशियन ही नहीं, बल्कि तीन पूर्व और वर्तमान सिविल सर्जन के नाम भी सामने आए हैं। जिसमे महासमुंद के वर्तमान सीएमएचओ नागेश्वर राव, उस वक्त जीपीएम में पदस्थ थे जब वहां का कुख्यात घोटाला चर्चा में आया। उसी दौरान इनके शासकीय आवास पर चोरी की वारदात हुई थी। लेकिन दिलचस्प यह कि पुलिस को दी गई जानकारी में चोरी गए सामान और रकम का ब्योरा वास्तविकता से काफी हल्का बताया गया। कारण भी उतना ही गहरा था असल में चोरी का माल और रकम इतनी बड़ी थी कि अगर सही आंकड़ा सामने आ जाता तो शहर भर में कानाफूसी और सवालों का तूफ़ान खड़ा हो जाता। नतीजा सूचना में कटौती कर दी गई, ताकि मामला दबा रहे और चर्चा से बचा जा सके। दूसरे प्रभात चंद्र प्रभाकर जिनका विवादों से पुराना नाता रहा फिलहाल वह मुंगेली में पदस्थ है। वही जीपीएम के वर्तमान सिविल सर्जन जिन पर भी मिलीभगत के आरोप हैं। सूत्र बताते हैं कि इस घोटाले में हेराफेरी करोड़ों में है। लेकिन इन वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई की बजाय इन्हें ऐसी कुर्सियों पर बैठा दिया गया है, जहाँ से फिर नए खेल रचे जा सकें।

मंत्री की भूमिका पर सवाल-
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक मंत्री जी को पूरे मामले की बारीक जानकारी है। आरोप है कि उन्होंने इस प्रकरण को मैनेज करा दिया। विभाग के अफसर बताते हैं कि मंत्री जी किसी स्वास्थ्य कार्य के लिए न सीएमएचओ से बात करते हैं न कलेक्टर से सीधा उसी लेब टेक्नीशियन को कॉल करते हैं और कई बार घर भी बुला लेते हैं।

कलेक्टर का बयान-
कलेक्टर जीपीएम ने भी माना कि उन्होंने अपने स्तर पर कार्रवाई कर दी है और मामले को ऊपर तक पत्राचार के जरिए भेज दिया है।
> “हम भी चाहते हैं कि कार्रवाई हो। लेकिन ऊपर से अब तक कोई निर्देश नहीं मिला है। बार-बार पत्राचार नहीं कर सकते। आरोपी मामले को शॉर्टआउट करने की कोशिश में थे, मगर हमने फाइल ऊपर भेज दी है। आगे जो भी जानकारी होगी, वह पता करके दी जाएगी।”
कलेक्टर के इस बयान से यह साफ होता है कि गेंद अब ऊपरी पाले में है। और वहां से हरी झंडी मिलने का इंतजार हो रहा है।

दस्तावेज़ का खुलासा-
CMHO कार्यालय के पत्र से साफ है कि नीचे के कर्मचारियों को हटाकर फाइल बंद करने की कोशिश हो रही है। जबकि जांच रिपोर्ट में बड़े नाम भी दर्ज हैं। जब तक मंत्री और शीर्ष अधिकारियों का संरक्षण रहेगा। निष्पक्ष कार्रवाई की उम्मीद बेमानी है।

उक्त गंभीर मामले में सबसे पहले मास्टरमाइंड लेब टेक्नीशियन को तत्काल निलंबित कर जांच की जाए। साथ ही तीनों सीएमएचओ पर विभागीय व आपराधिक कार्रवाई हो। और मंत्री स्तर पर राजनीतिक संरक्षण की भी जांच हो।मामला ACB/EOW तक पहुंच चुका है, लेकिन अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले इन रसूखदारों पर गाज गिरती है या यह मामला फिर से सरकारी फाइलों में दफन हो जाएगा। यह देखने वाली बात होगी।

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