*एमपी में फर्जी बिल से 34 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी मामले में ईओडब्ल्यू ने करोबारी शेख जफर को किया अरेस्ट*
छत्तीसगढ़ उजाला

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। मध्यप्रदेश में हुए 34 करोड़ रुपये के जीएसटी फर्जीवाड़ा मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) भोपाल की टीम ने छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। मंगलवार को ईओडब्ल्यू ने मरवाही क्षेत्र के रूमगा मटियाढांड से कोयला कारोबारी शेख जफर को गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी भोपाल में दर्ज बड़े जीएसटी घोटाले की कड़ी में की गई है। मिली जानकारी के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपित शेख जफर, जबलपुर निवासी जीएसटी फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड विनोद कुमार सहाय के लिए कार्य करता था। विनोद सहाय को ईओडब्ल्यू पहले ही झारखंड के रांची से गिरफ्तार कर चुकी है। जांच में पर्दाफाश हुआ है कि आरोपित शेख जफर की अम्बर कोल डिपो और अनम ट्रेडर्स नामक कंपनियां हैं, जो कोयले के नाम पर बोगस बिलिंग कर रही थीं।
कथित व्यापार किया और फर्जी बिल दिए
आरोपित शेख जफर अपनी कंपनियों के जरिए अभिजीत ट्रेडर्स, मां रेवा ट्रेडर्स, नमामि ट्रेडर्स, महामाया ट्रेडर्स और जगदम्बा कोल केरियर जैसी फर्मों से कथित व्यापार किया। ये सभी फर्में विनोद सहाय के नेटवर्क से जुड़ी थीं। पूछताछ में यह भी सामने आया है कि जफर ने बिलासपुर, अनूपपुर और रायगढ़ की कई कोल वाशरियों व कंपनियों को भी फर्जी बिल दिए। इनमें प्रकाश इंडस्ट्रीज, एमएसपी पावर प्लांट और बीएस सिंघल पावर प्लांट जैसे नाम शामिल हैं। शेख जफर के पास मरवाही के पास कोयले का डंपिंग यार्ड भी है, जहां से वह चोरी का कोयला छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाता था।
देशभर में फैला फर्जीवाड़े का जाल
ईओडब्ल्यू की जांच में यह सामने आया है कि विनोद सहाय ने पूरे नेटवर्क को खड़ा करने के लिए 23 फर्जी फर्मों और 150 से अधिक बैंक खातों का इस्तेमाल किया। यह फर्जीवाड़ा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में फैला हुआ है। जांच एजेंसी के अनुसार, विनोद सहाय वर्ष 2009 से फर्जी नाम और आइडी जैसे नीलू सोनकर व एनके खरे के नाम पर कंपनियां खड़ी कर रहा था। उसने 512 करोड़ रुपये की इनवायसिंग दिखाई, लेकिन हकीकत में न कोई गोदाम था, न माल का परिवहन और न ही भंडारण का प्रमाण।
दस्तावेज लेकर बनाईं फर्जी फर्में
आरोपित सहाय ने खुद को लोन एजेंट बताकर आम लोगों से पैन कार्ड, आधार, फोटो और बैंक दस्तावेज लिए और उनके नाम पर जीएसटी पंजीयन करवा कर फर्में बना लीं। ईमेल और लागिन खुद के पास रखकर वह इन कंपनियों से फर्जी इनवायस और आइटीसी जनरेट करता था। ईओडब्ल्यू अब पूरे नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ते हुए छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में भी कार्रवाई की तैयारी में है। अधिकारियों का मानना है कि यह घोटाला और भी बड़ा हो सकता है।
कैसे करता था फर्जीवाड़ा
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- ईओडब्ल्यू की पूछताछ में कोयला कारोबारी शेख जफर ने बताया कि वह विनोद सहाय की विभिन्न फर्मों के माध्यम से कोयले का कारोबार करता था।
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- उसके नाम पर अम्बर कोल डिपो और अनम ट्रेडर्स नामक दो फर्में दर्ज हैं, जो रानीताल, जबलपुर पते पर रजिस्टर्ड हैं।
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- शेख जफर के अनुसार, अनम ट्रेडर्स ने अभिजीत ट्रेडर्स से, जबकि अम्बर कोल ने मेसर्स मां रेवा ट्रेडर्स और नमामि ट्रेडर्स से कोयले का लेन-देन किया है।
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- इसके अलावा, उसकी कंपनियों ने विनोद सहाय की जगदम्बा कोल केरियर और महामाया ट्रेडर्स के साथ भी व्यवसायिक लेन-देन किया है।
- उसने आगे बताया कि विनोद सहाय की एक अन्य फर्म जेएमकेडी कोल से प्राप्त कोयला बिलों को वह कई प्रतिष्ठानों को जारी करता था, जिनमें भटिया कोल (बिलासपुर), खालसा कोल (बिलासपुर), आर्यान कोल वाशरी, जैन कोल वाशरी (अनूपपुर), हरिजिका कोल (रायगढ़), प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड (चांपा), नेशनल फर्म (प्रोपराइटर – अक्कू जेठानी), एमएसपी पावर प्लांट (रायगढ़) और बीएस सिंघल पावर प्लांट (रायगढ़) शामिल हैं। इन फर्जी बिलों के समर्थन में वह राजा सरावगी (बुढ़ार), अशोक चतुर्वेदी (बुढ़ार) और राजेश कोटवानी (बिलासपुर) से कोयला लेने का दिखावा करता था। शेख जफर का मरवाही के समीप रूमगा मटियाढांड में एक कोयला डंपिंग यार्ड भी है, जहां से वह चोरी के कोयले को छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के बीच सप्लाई करता था। इसके साथ ही वह फर्जी बिलिंग के जरिए जीएसटी में भारी हेराफेरी करता था।