सीजीएमएससी और भ्रष्टाचार……एक सिक्के के दो पहलू…..आखिर कब होगी नौकरशाहों पर कार्रवाई…मामला जांच तक न सिमट जाये…..

●छत्तीसगढ़ उजाला●
रायपुर ● सीजीएमएससी का 2012 से गठन हुआ था.तब से आज तक का हिसाब अगर निकाला जाए तो खरबों का घोटाला सामने आयेगा.ऐसा लगता है कि इसकी स्थापना का मूल उद्देश्य ही भ्रष्टाचार था.cgmsc आज भी प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों के भरोसे चल रहा है. इसके बाद जीएम टेक्नीकल से लेकर मैनेजर, डिप्टी मैनेजर, एचआर हैड से लेकर सभी स्टाफ प्रतिनियुक्ति में रखे गए है। इतने सालों में जीएम जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कोई नियमित भर्ती क्यों नहीं गई।इसकी जांच सरकार को करना चाहिए.ये पद जीएम क्वालिटी कंट्रोल, फाइनेंस व टेक्नीकल के हैं।इतने बड़े बजट वाले विभाग में संविदा अफसरों को बैठाना समझ से परे है.संविदा में अधिकारी cgmsc में आते है करोडों का खेल करके अपने मूल विभाग लौट जाते हैं.ऐसा लगता है कि इन की नियुक्ति इसी कर्म के लिए की जाती है.लूट सको तो लूट अभियान का खेल cgmsc में चला आ रहा हैं. एक से एक आईएएस आए अपनी जेबे भरे और पतली गली से निकल गए इनको आम जनता से कोई सरोकार ही नहीं है. इन की जांच कब होगी…..?
अफसरों की मनमानी से आज भी करोडों का नुकसान होता आ रहा हैं.सीजीएमएससी हर साल दवा, इक्विपमेंट व रीएजेंट को मिलाकर 1100 करोड़ से ज्यादा की खरीदी करता है। अस्पतालों में ये सभी आइटम सप्लाई कभी भी समय पर नहीं होती। इसका नुकसान मरीजों को होता आ रहा हैं.आज भी स्वास्थ्य विभाग का काम भगवान भरोसे ही चल रहा हैं.
भेंट चढ़ी हर योजना, हर जगह भ्रष्टाचार…..
मोटे हुए बिचौलिए और अफसर, जनता बेचारी लाचार…..
अब इस मामले राज्य सरकार की जांच एजेंसी eow/acb सही तरीके से जांच भी कर रही हैं कई घोटालेबाजों को जेल में भी डाल दिया गया है. पर आज भी कई अफसर बचे हुए हैं. क्या इन मामलों में आईएएस अफसरों की गिरफ्तारी होगी ऐसे बहुत से सवाल भी आम जनता के मन में है. वित्त विभाग से प्रतिनियुक्ति में आई एक महिला अफ़सर को जीवन दान किस लिए दे दिया गया. जिन बड़े अफसरों को acb/eow ने बयान के लिए बुलाया था क्या उनके ऊपर कोई ठोस कार्रवाई होगी.या आईएएस होने की वज़ह से उनको भी सुशासन की सरकार में अभयदान दे दिया जाएगा.
सीजीएमएससी आखिर समय पर दवा सप्लाई क्यों नहीं कर पाती हैं.दवा इंजेक्शन एक्सपायर होने वाले सप्लाई कर दिये जाते हैं। हाल ही में डीकेएस अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक के मरीज को थक्का हटाने वाले एक्सपायर इंजेक्शन टेनेक्टेज 20 मिग्रा लगा दिया गया। जबकि बाजार में इस इंजेक्शन की कीमत 40 से 50 हजार रुपए हैं। इतने महंगे इंजेक्शन को एक्सपायर करने वालों की गिरफ्तारी होनी चाहिए. इस मामले में मंत्री से लेकर अफसरों का एक ही रटा हुआ जवाब सुनने में आता है कि मामले की जांच की जाएगी.वैसे इनकी जांच कभी पूरी होने का नाम ही नहीं लेती है.अब सुशासन की सरकार में इन राजशाही नौकरशाहों की जेल यात्रा कब होगी यह देखना बाकी हैं.