गौरेला पेंड्रा मरवाहीछत्तीसगढ

60 लाख की लागत मे ‘थूक पॉलिश’! जीपीएम में सड़क सुधार नहीं, पेंच रिपेयरिंग का भ्रष्टाचार — गड्ढों से बचना अब चुनौती


जीपीएम(छत्तीसगढ़ उजाला)-जिले में लोक निर्माण विभाग (PWD) की लापरवाही और भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। सत्र 2025-26 में करीब 60 लाख रुपये की लागत से सड़क मरम्मत का कार्य प्रस्तावित है, लेकिन हकीकत यह है कि सड़कों की हालत पहले से भी बदतर हो चुकी है। जगह-जगह गड्ढे, टूटी परतें और उखड़ी डामर सड़कें लोगों की जान जोखिम में डाल रही हैं।
बसंतपुर से कारिआम मार्ग, जो पेंड्रा को बिलासपुर से जोड़ने वाला मुख्य संपर्क मार्ग है, वर्षों से मरम्मत की बाट जोह रहा है। यह सड़क अब गड्ढों में बदल चुकी है, मगर विभाग पेंच रिपेयरिंग के नाम पर सिर्फ ‘थूक पॉलिश’ जैसी खानापूर्ति कर रहा है।

हालात ये है– “अब तो गड्ढे ही बताते हैं कि सड़क यहीं से जाती है।”

हर साल बजट, लेकिन मरम्मत सिर्फ कागज़ों में

जानकारी के मुताबिक, इस सड़क की मरम्मत के लिए हर साल करोड़ों रुपये जारी होते हैं। मगर नतीजा यह है कि जहां रिपेयरिंग होती है, वहीं अगले महीने फिर गड्ढे उभर आते हैं। अधिकारी बस रिपोर्ट भेजकर फाइल बंद कर देते हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है “ये सड़क सुधार नहीं, बजट खपाओ अभियान बन चुका है।”एक तरफ पेंच रिपेयरिंग होती है, दूसरी तरफ उसी जगह पर परत उखड़ जाती है। फिर उसी काम के लिए नया प्रस्ताव तैयार कर दिया जाता है।

हादसों का डर, मगर विभाग मौन

खस्ताहाल सड़कों की वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। कई लोगों को चोटें आईं, कुछ ने जान तक गंवाई, मगर विभाग मौन है।
ना स्थायी मरम्मत, ना जिम्मेदारों पर कार्रवाई।
जब लोक निर्माण विभाग के मंत्री से इस बारे में संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कॉल तक रिसीव नहीं किया।

सूत्रों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों पर “कोई निगरानी या जवाबदेही नहीं बची।”

आखिर कब खत्म होगा पेंच रिपेयरिंग का खेल?“अगर सड़क सही से बनाई जाए, तो शायद आधे बजट में काम हो जाए। फिर हर साल लाखों खर्च करने की क्या जरूरत?”


पेंच रिपेयरिंग का खेल असल में भ्रष्टाचार की चेन बन चुका है। हर बार नया ठेका, नया भुगतान — मगर न सड़क सुधरती है, न जनता की परेशानी घटती है।

अब जनता पूछ रही है
क्या कभी जीपीएम की सड़कें गड्ढामुक्त होंगी, या यह पेंच रिपेयरिंग का खेल यूं ही चलता रहेगा?

प्रशांत गौतम

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