कोरबा

SECL की कोयला खदानों में ‘बाउंसर राज’! महिला बाउंसरों ने किसान को पीटा — वीडियो वायरल, भूविस्थापितों में उबाल


कोरबा(छत्तीशगढ़ उजाला)
छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी सरकारी कोयला कंपनी एसईसीएल (SECL) के कुसमुण्डा क्षेत्र में “बाउंसर संस्कृति” ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। भूविस्थापितों की जायज मांगों को दबाने और विरोध को कुचलने के लिए ठेका कंपनी ने न केवल पुरुष, बल्कि महिला बाउंसरों की तैनाती तक कर दी है।
नवीनतम घटना में महिला बाउंसरों द्वारा एक किसान की सरेआम पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे क्षेत्र में भारी आक्रोश फैल गया है।

घटना कैसे हुई

मिली जानकारी के अनुसार, यह मामला कुसमुण्डा क्षेत्र के चंद्रनगर का है।
यहां के भूविस्थापित किसान समीर पटेल पिछले एक साल से नीलकंठ ठेका कंपनी से रोजगार की मांग कर रहे थे। बताया जाता है कि जब वे कंपनी के दफ्तर अपनी मांग लेकर पहुंचे, तो एचआर अधिकारी मुकेश सिंह ने महिला बाउंसरों को बुलाकर उनके साथ मारपीट करवाई।
घटना का वीडियो वायरल होते ही पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया है।



❖ ठेका कंपनी की मनमानी और दमन

स्थानीय ग्रामीणों और मजदूर संगठनों ने आरोप लगाया है कि SECL प्रबंधन और नीलकंठ कंपनी दोनों मिलकर भूविस्थापितों की आवाज को दबाने का प्रयास कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि –

> “कंपनी प्रबंधन अब ठेकेदारों के जरिए ग्रामीणों को डराने-धमकाने का काम कर रहा है।
जो भी रोजगार या मुआवजे की बात करता है, उसके साथ बाउंसरों से बदसलूकी की जाती है।”



इससे पहले भी महिला भूविस्थापितों के साथ अभद्रता का एक वीडियो वायरल हुआ था, लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

❖ ग्रामीणों में गुस्सा और आंदोलन की चेतावनी

इस घटना के बाद चंद्रनगर और आसपास के इलाकों में भूविस्थापित परिवारों का गुस्सा फूट पड़ा है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर “बाउंसर राज” पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो वे संपूर्ण क्षेत्र में आंदोलन शुरू करेंगे।

बड़ा सवाल — सरकारी कंपनी में निजी बाउंसर क्यों?

यह मामला कई गंभीर सवाल खड़े करता है —
जब एसईसीएल एक सरकारी उपक्रम है, तो क्या उसे अब निजी बाउंसरों के सहारे अपनी नीतियां लागू करनी होंगी?
क्या ग्रामीणों और भूविस्थापितों की आवाज दबाने के लिए सरकारी संस्थान अब “ठेकेदार तंत्र” का सहारा लेंगे?

स्थानीय संगठनों ने जिला प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है, जबकि SECL प्रबंधन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

प्रशांत गौतम

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