*गरीबों के हक का राशन देने में दुकान संचालक कर रहा आना-कानी, दुकान संचालक डाल रहा कई वर्षों से राशन में डाका, सेल्समैन के दबंगई के सामने भीगीबिल्ली बने हुए ग्रामीण*
छत्तीसगढ़ उजाला - दीपक महंत

ग्राम लिटियाखार से लगातार मिल रही राशन घपले के सूचना। किसी का दो महीने में दो बार अंगूठा लगाने के बाद भी खाद्यान्न निरस्त तो किसी किसी को तीन माह से नहीं मिला अन्न का दाना
________________________
आखिर क्या है गरीबों को राशन नहीं मिलने का माजरा, कही पीडीएस संचालन में भारी गड़बड़ी या हेरा फेरी तो नहीं ?
कोरबा/पाली (छत्तीसगढ़ उजाला)। पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) संचालन में हेराफेरी के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। ये कोई नई बात नहीं है और शासन ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो ऐसे मामले आए दिन सामने आते ही रहेंगे । खाद्य विभाग के अधिकारियों द्वारा भौतिक सत्यापन के दौरान कई दुकानों में राशन की कमी पाई गई है, जिसमें चावल, चना, नमक और शक्कर शामिल हैं। कुछ मामलों में, विक्रेता पर हेराफेरी करने और कालाबाजारी करने के कई आरोप है।
उदाहरण: रायगढ़ में एक रिपोर्ट के अनुसार, रायगढ़ शहर की 10 दुकानों में लाखों का राशन गायब पाया गया, और एक दुकान को निलंबित कर दिया गया ।
सुकमा में पुलिस ने 2 सेल्समेन को गिरफ्तार किया, जो लगभग 25 लाख रुपये के पीडीएस खाद्यान्न सामग्री की हेराफेरी और कालाबाजारी में शामिल थे ।
अहमदपुर में कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी ने विक्रेता जगदीश बैरागी के खिलाफ हेराफेरी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई । दुर्ग में स्थानीय लोगों ने सरकारी चावल की हेराफेरी करने वालों को पकड़ा और उन्हें पुलिस को सौंप दिया । इस तरह के अनेक मामले देखे, सुने और पढ़े जा चुके है। पीडीएस संचालन में हेराफेरी एक गंभीर समस्या है जो गरीबों को होने वाले लाभ को कम करती है। सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कई ठोस कदम उठा चुकी है । पर यह खाद्यान्न समस्या आज भी कई ग्राम पंचायतों और नगरीय क्षेत्रों में देखी और सुनी जा सकती है।
कुछ इसी तरह के राशन अनियमितता मामला कोरबा जिला के पाली प्रखंड अंतर्गत के ग्राम पंचायत लिटायाखार से लगातार कई दिनों निकल कर सामने आ रहा है।
ग्राम लिटियाखार में हितग्राहियों को खुद के राशन के लिए भटकना पड़ रहा है ।राशन दुकान संचालक की मनमानी के कारण हितग्राहियों को तीन महीने से राशन नहीं मिला है ।जिसके कारण सभी बाजार से राशन खरीदकर अपना पेट पाल रहे है।
कोरबा जिले में शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं का फायदा गरीबों तक नहीं पहुंच पा रहा है ।शासकीय योजनाएं जिन गरीबों को फायदा पहुंचाती हैं,कई जगहों पर अधिकारियों के मेहरबानी के कारण उनके असली हकदार सुविधा से वंचित हो जाते हैं ग्राम लिटियाखार के में पिछले 3 महीने से गरीबों को राशन नहीं मिला है । इस तरह से लगातार ग्रामीणों से जानकारी मिल रही है। गरीब ग्रामीण अपना पेट पालने के लिए बाजार से चावल खरीदकर खा रहे हैं ।
पाली विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत लिटियाखार के लोग इन दिनों मुश्किल में हैं संचालक सेल्स मेन राजेश कुमार चौहान के दबंगई पूर्ण व्यवहार के कारण और शासन के खाद्यान्न योजना से वंचित न हो जाए इस डर से स्थानीय ग्रामीण सेल्स मेन राजेश कुमार चौहान के विरुद्ध शिकायत करने पर कतराती है । अगर कोई ग्रामीण इस संबंध से कही कोई शिकायत करने जाता है तो इनके द्वारा उसे बहला फुसला कर अपने लाइन में ले लिया जाता है जिससे ग्रामीण एकजुट होकर इस संबंध में अधिकारियों और पत्रकारो के समक्ष अपनी बात नहीं रख पाते है । मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम लिटिया खार में लगभग 17 वर्षों से शारदा स्व सहायता समूह के द्वारा संचालन किया जाता रहा है समूह के अध्यक्ष भाग्यवती उइके और सचिव मोगरा बाई श्याम के सानिध्य में राशन दुकान का संचालन किया जाता है। पर जनता जो है इस समूह के कार्य प्रणाली से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है क्योंकि उन्हें नियमित रूप से उनके हक का राशन कई महीनों से नहीं मिल पा रहा है । कुछ लोगों से मिली जानकारी अनुसार सेल्स मेन राजेश कुमार चौहान के दबंगई पूर्ण हरकत और दुर्व्यवहार से ग्रामीण परेशान रहते हैं और डर में कोई शिकायत करने से कतराते है । ज्ञात हो कि लोगों से मिली सूचना पर स्थानीय पत्रकारों द्वारा उचित मूल्य की दुकान के पास लोगों से पूछताछ और समाचार कवरेज करने के दौरान सेल्समेन राजेश कुमार चौहान द्वारा पत्रकारों से अभद्र व्यवहार और गाली गलौच करते हुए उनके कार्य में हस्तक्षेप करने लगा। इन सब गतिविधियों से यह आशंका स्पष्ट लगाया जा सकता है की ग्राम लिटियाखार में भारी गड़बड़ी और राशन घोटाला समूह संचालक द्वारा किया जा रहा है। जो एक गंभीर जांच का विषय है।
ग्रामीणों ने स्पष्ट मीडिया कर्मियों को तीन माह से राशन नहीं मिलने की जानकारी दिया है और कुछ लोगों का कहना है की 2 से 3 बार अलग अलग माह में अंगूठा लगाया गया उसके बाद भी राशन सामग्री प्रदान नहीं किया गया है। या फिर संचालक सेल्समेन द्वारा राशन निरस्त होने की जानकारी देकर राशन सामग्री रोक दिया गया है।
साथ ही हितग्राहियों को राशन के साथ मिलने वाला शक्कर और चना भी नदारद रहता है । साथ ही शक्कर वितरण में जहां शासकीय मूल्य 17 रुपए वहां पर 20 रुपए लिया जाना बताया गया है,कई लोगों का आरोप है कि उनके कार्ड में बिना राशन बांटे ही एंट्री कर दी गई है ।ग्रामीणों को राशन नहीं मिलने के कारण काफी परेशानियां उठानी पड़ रही है । स्थिति ये है कि उन्हें अपना और अपने परिवार के लोगों का पेट भरने के लिए गांव के किराना दुकानों से चावल खरीदकर लाना पड़ता है ।
ग्रामीण जनप्रतिनिधियों की मानें तो मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों से की गई है ।लेकिन कोई फायदा अब तक नहीं हुआ है । यह गरीबों के साथ धोखाधड़ी का पहला मामला नहीं ,सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गरीब हितग्राहियों को मुफ्त में मिलने वाले राशन में हेराफेरी का यह कोई नया मामला नही है । लेकिन हेरा फेरी करने वाले दुकान संचालकों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होने से हर बार ऐसे मामले सामने आते रहते हैं ।यदि इस बार भी बिना कार्रवाई के राशन दुकानदार को छोड़ दिया गया तो इसी तरह से गरीबों के राशन में डाका डलता रहेगा ।