
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। जिले में सड़कों की बदहाली को लेकर लोगों की नाराज़गी लगातार बढ़ती जा रही है। प्रशासन द्वारा सड़कों के गड्ढों को भरने का काम तो शुरू किया गया, लेकिन जिस तरह से यह कार्य किया जा रहा है, उससे साफ दिख रहा है कि यह महज खानापूर्ति है। गड्ढों में जो मटेरियल डाला जा रहा है, उसकी गुणवत्ता इतनी खराब है कि सूखने के बाद यह सड़क का हिस्सा बनने के बजाय केवल धूल उड़ाने का कारण बनेगा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह दावा तो किया गया था कि जल्द ही गड्ढों से निजात मिलेगी और सड़कें बेहतर होंगी, लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है। गहरे गड्ढों में मिट्टी और बजरी जैसी सस्ती सामग्री डालकर काम पूरा करने की कोशिश की जा रही है। न बिटुमेन का इस्तेमाल दिख रहा है और न ही किसी तरह का लेयरिंग व संपीड़न। ऐसे में यह मरम्मत लंबे समय तक टिक पाएगी, इसकी उम्मीद करना गलत होगा।
राहगीरों का कहना है कि खराब गुणवत्ता की वजह से कुछ ही दिनों में मटेरियल जगह से हट जाएगा और सड़क पर मोटी परत में धूल फैलनी शुरू हो जाएगी। इससे एक ओर तो दुपहिया चालकों को गड्ढों का सामना करना पड़ेगा, दूसरी ओर उड़ती धूल उनकी स्वास्थ्य समस्याओं को भी बढ़ा सकती है। सांस की तकलीफ, आंखों में जलन और खांसी जैसी समस्याएं बढ़ना तय है। सबसे ज्यादा दिक्कत उन बच्चों और बुजुर्गों को होगी, जिन्हें रोज़ इन सड़कों से गुजरना पड़ता है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि बरसात के मौसम में यह मटेरियल तेजी से बह जाएगा, और सड़क की हालत पहले से भी बदतर हो जाएगी। गड्ढों में भराव के नाम पर खर्च तो दिखा दिया जाएगा, लेकिन स्थायी समाधान कहीं नजर नहीं आता। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी केवल रिपोर्ट पूरी करने के लिए औपचारिकता निभा रहे हैं, जबकि जमीनी स्तर पर जनता को कोई लाभ नहीं मिल रहा।
स्थानीय व्यापारियों ने चिंता जताई है कि धूल से बाजार क्षेत्र भी प्रभावित होगा। दुकानों में बैठना मुश्किल हो जाएगा और ग्राहक भी परेशानी महसूस करेंगे। परिवहन व्यवसायियों का कहना है कि बड़े वाहनों के आने-जाने से यह घटिया मटेरियल दिनभर में ही उखड़ने लगता है, जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। खासकर शाम के समय धूल का गुबार इतना घना हो जाता है कि कुछ मीटर आगे तक दिखना मुश्किल होता है।
लोगों ने कहा कि यदि प्रशासन वास्तव में सड़कों की हालत सुधारना चाहता है तो उसे टिकाऊ और बेहतर तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। ठेका कंपनियों से सख्ती से जवाब तलब किया जाए और सड़क मरम्मत में मानक गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। केवल खानापूर्ति से समस्या खत्म नहीं होगी, बल्कि आने वाले समय में यह और गंभीर हो जाएगी।
जनता की मांग है कि जिला प्रशासन इस मामले का संज्ञान ले और घटिया मरम्मत कार्य को तुरंत रोककर जिम्मेदार अफसरों व ठेकेदारों पर कार्रवाई करे। जिले के लोग बरसों से बेहतर सड़कों की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन हर बार उन्हें अधूरे और अस्थायी काम से ही संतोष करने को मजबूर कर दिया जाता है।
