गौरेला पेंड्रा मरवाही

आय प्रमाण पत्र बनाने में बड़ा घोटाला अवैध कमाई का खेल: तहसील कार्यालय पेंड्रा लोक सेवा प्रभारी आशीष तंबोली पर गंभीर आरोप

तहसीलदार कार्यालय में भ्रष्टाचार:

जी. पी. एम. – सरकारी कार्यालयों में पारदर्शिता और ईमानदारी के दावों के बावजूद, तहसील कार्यालय में एक गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। लोक सेवा प्रभारी आशीष तंबोली पर आरोप है कि वे आय प्रमाण पत्र करने के लिए निर्धारित शुल्क 50रुपए से कई गुना अधिक राशि वसूल रहे हैं, और तो और, इस काम के लिए वे अपनी आईडी के बजाय एक सरकारी शिक्षक, beopendra, की आईडी का अनाधिकृत रूप से उपयोग कर रहे हैं।


आईडी चोरी अवैध वसूली


प्राप्त जानकारी के अनुसार, आय प्रमाण पत्र जारी करने का निर्धारित सरकारी शुल्क ₹50 है, लेकिन आशीष तंबोली कथित तौर पर प्रत्येक प्रमाण पत्र के लिए गरीबों और जरूरतमंदों से ₹300 तक वसूल रहे हैं। यह सीधी-सीधी लूट का मामला है, जहाँ सरकारी सेवा के नाम पर नागरिकों का शोषण किया जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस अवैध कार्य को अंजाम देने के लिए वे अपनी आधिकारिक आईडी का उपयोग नहीं कर रहे हैं। इसके बजाय, वे एक सरकारी शिक्षक की आईडी का दुरुपयोग कर रहे हैं, जिससे यह पूरा मामला और भी संगीन हो जाता है। यह न केवल वित्तीय अनियमितता है, बल्कि पहचान की चोरी और सरकारी नियमों का घोर उल्लंघन भी है।


अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल


स्थानीय सूत्रों और पीड़ितों का कहना है कि तहसीलदार और कलेक्टर कार्यालय, दोनों को इस गोरखधंधे की पूरी जानकारी है। इसके बावजूद, इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है, और उच्च अधिकारी रहस्यमय तरीके से चुप्पी साधे हुए हैं। अधिकारियों की यह चुप्पी उनके मिलीभगत या उदासीनता की ओर इशारा करती है, जिससे भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिल रहा है। यह स्थिति सरकारी तंत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग


इस पूरे प्रकरण पर तत्काल प्रभाव से एक उच्च-स्तरीय जांच की मांग की जा रही है। नागरिकों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि आशीष तंबोली और इसमें शामिल अन्य सभी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही, उन अधिकारियों की भी जांच होनी चाहिए जो इस भ्रष्टाचार को जानते हुए भी मूक दर्शक बने हुए हैं, विशेषकर उन लोगों की जिन्होंने बी.इ.ओ पेंड्रा की आईडी से जारी किए गए 604 अवैध आवेदनों को मंजूरी दी। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सरकारी कार्यालयों में आम जनता को बिना किसी परेशानी और अवैध वसूली के सेवाएँ मिलें।

प्रशांत गौतम

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