छत्तीसगढ

मंडल आयोग की आस…..पीए लोगो की खींचतान….मंत्रिमंडल का विस्तार…..

●रायपुर छत्तीसगढ़ उजाला●

प्रदेश की सत्ता में भाजपा को विराजित हुए सवा साल से ज्यादा समय बीत गया!अब तक दो मंत्रियों के साथ आयोग, मंडल,बोर्ड की सूची बाकी है.पार्टी के लिए जीने मरने वाले आज भी आस लगाकर बैठे हुए हैं.कब भाजपा के बड़े नेता उनके लिए विचार करेंगे.पर भाजपा में कार्यकर्ताओं को सही मान सम्मान नहीं मिलने की बाते भी सुनाई देती है.छत्तीसगढ़ के हर जिले में कार्यकर्ताओं की ओर देखने वाले नहीं हैं.पार्टी के लिए अपना पूरा जीवन देने वालों की ओर भी देखने की आवश्यकता हैं.सूत्रों के अनुसार अगले सप्ताह तक मंडल आयोग के साथ ही बोर्ड के बाकी पदों की नियुक्ति कर दी जाएगी.इसमें पार्टी के पांच सौ कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाएगा.इसमें उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति होनी हैं.

●मंत्रिमंडल में क्या होगा बड़ा बदलाव●

चार से पांच मंत्रियों के बदलाव के साथ सुशासन की सरकार नजर आएगी.कमजोर परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों की छुट्टी लगभग तय है.स्वास्थ्य,आदिम जाति,खाद्य,महिला बाल विकास,उद्योग,राजस्व विभाग में मंत्रियों का काम काज कमजोर बताया जा रहा है.इन विभागों में बड़ा फेरबदल भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व कर सकता हैं.कयास यह भी है कि इसमें अनुभवी सीनियर विधायकों को मंत्री बनने का मौका पार्टी दे सकती हैं.अब किसके भाग्य में सत्ता सुख लिखा है वो तो प्रभु श्रीराम ही जाने…..

●आपसी खींचतान की चर्चा●

सीएम सचिवालय में आपसी खींचतान की बाते भी सामने आ रही हैं.एक पीए दूसरे पीए पर नजर बनाए रखा हुआ हैं.हाउस की बाते बाजारों तक पहुंचाने में कौन शामिल हैं.एक दूसरे को निपटाने का खेल खुलकर किया जा रहा हैं. हाउस में कौन काम करवाने में सक्षम है यह समझना ही कठिन हैं.पार्टी कार्यकर्ताओं के छोटे काम भी नहीं हो पा रहे हैं.कार्यकर्ताओं को पीए सम्मान नहीं दे रहे हैं.ऐसी बहुत सी बातें बाजारों में सुनने को आती हैं.सीएम के पावर फूल ओएसडी को लेकर बड़े व्यापरियों में चर्चा बनी हुई हैं.कोई दया की बात करता है तो कोई बंसल की.सूत्रों के अनुसार एक आईएएस सीएम सचिवालय की बजाय दिल्ली जाने का विचार कर रहे हैं.उनको यहां काम करना पसंद नहीं आ रहा हैं.किसका कितना चलता है यह तो इनके पास जाने वाले ही जाने.वर्तमान में सीएम के प्रमुख सचिव पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर साहब के सचिव भी रह चुके हैं.कहने वाले सीएम के प्रमुख सचिव को सरल और सहज बताते है.लोगों को अब यह समझना ज्यादा कठिन भी नहीं हैं.हाउस में किसके कहने से काम होंगे.सत्ता की अपनी अलग कहानियाँ होती हैं.कौन किसको कहा निपटाना चाहता है यह समझना इतना आसान भी नहीं हैं.वैसे लोगों का एक यक्ष प्रश्न भी है कि यह सरकार कौन चला रहा हैं?किसी को भी यह समझ में नहीं आ रहा हैं.

 

नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है….

Anil Mishra

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