
*होली एक्सक्लूसिव*
*एक तरफ महतारी वंदन, दूसरी ओर शराब में डूबे राज्य के नशेड़ी नंदन।*
सरकार ने साय साय खूब वादे निभाए ,सबका खूब ध्यान भी रखा ऐसे में भला ‘शराबी’ क्यों वंचित रहे ? भई उनके भी कुछ मौलिक अधिकार हैं जो उन्हें भी प्राप्त होने चाहिए आखिर सरकार किसी की भी हो ख़ज़ाना तो उनसे ही भरता और कोविड जैसे राहुकाल में वो ही रक्षक साबित होते हैं ; पिछली सरकार के लुटे पीटे ख़ज़ाने में राहत इन्हीं से तो मिली हैं वैसे एक शराबी कल्याणकारी योजना भी बजट में होनी चाहिए थी, जिसमें सर्वप्रथम ऐसे लोगों को विशिष्ट दर्जा एवं सुविधाएं प्राप्त होना चाहिए (आखिर सरकार के राजस्व की रीढ़ हैं),वैसे राज्य की सरकार हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी आबकारी विभाग के टार्गेट को करीब बढाया है.इन शराब प्रेमियों का मदिरालय (शराब दुकानों) पर लिंक होना चाहिए जिससे सरकार की एक उपलब्धि और हो सके कि इतने लोग वर्ष भर में गरीबी रेखा से ऊपर आ गए, चूंकि ये हमारे दानदाता हैं अपने शरीर के साथ अपना सर्वस्व दांव पर लगा कर समाज /राज्य के विकास में योगदान देते हैं अतः इन्हें किसी भी प्रकार से सपरिवार सरकारी छूट, लाभ, सब्सिडी आदि प्रदान नहीं करना चाहिए, इनके योगदान को कमतर नहीं आंकना चाहिए ,ऐसे भामाशाहों का ये अपमान ही हैं। वैसे इनकी प्रगति और प्रोत्साहन से तंबाकू निषेध मुहिम वाले जो समाचार पत्रों, सिनेमा,एफएम आदि पर चल रही हैं उससे व्यथित होकर अन्य सभी सूखे नशे को संगठित करने की योजना बना रहे हैं ।
छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019-20 से लेकर अगले छह साल में शराब बिक्री से मिलने वाले राजस्व की स्थिति इस प्रकार है
2019-20 | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | 2024-25 |
4952.79 | 4636.9 | 5110.15 | 6783.61 | 8430.49 | 8600 |
11 हजार करोड़ का टार्गेट अब तक 8600 करोड़ मिले ।
छत्तीसगढ़ में चालू वित्तीय वर्ष में आबकारी राजस्व से करीब 8 हजार 600 करोड़ रुपयों का राजस्व मिला है। हालांकि राज्य सरकार ने इस वर्ष के लिए आबकारी राजख का लक्ष्य 11 हजार करोड़ रुपए रखा है। आबकारी प्रशासन के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो आने वाले एक महीने में यानि 31 मार्च तक लक्ष्य पूरा होने की संभावना है। वजह ये है कि वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही में छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक शराब की बिक्री अधिक होती है। इसलिए लक्ष्य पूरा होने की संभावना है।
परस्पर नीति सिद्धांत का सही उदाहरण अगर देखना हो तो वो सरकार,शराब,अन्न और नशेड़ी नंदन के व्यवहार से देखा जा सकता है..…
सरकार शराब बेचकर जिनको चावल गेंहू बांटती है वो ही लोग चावल गेंहू बेचकर शराब खरीदते हैं…..इस प्रणाली से सरकार,नशेड़ी नंदन और योजना बनाने वाले अफसर खुश….
ये बात सही भी हैं कि यदि हम ऐसा पहला राज्य बन जाए जहां सरकारी भांग की दुकान पर चरस ,गांजा,अफ़ीम आदि भी उपलब्ध होने लगे तो हमें राजस्व प्राप्ति के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता, प्रतिव्यक्ति आय श्रेष्ठतम होगी।इतने सारे लाभों को ध्यान में रखते हुए सरकार को ड्राई डे की यदि औपचारिकता रखनी ही हैं तो केवल दो दिन ही रखें 26 जनवरी व 15 अगस्त ताकि शराबी देश के सम्मान में दो दिन सीधे खड़े होकर ये नशेड़ी नंदन झंडावंदन कर सके, वैसे सरकार ने पुलिस का भी ध्यान रखा, अगली होली और मुहर्रम आदि मौके पर पुलिस हुड़दंगियों के पीछे कम से कम पसीना तो नहीं बहाएगी ..