30 जनवरी को होगी जनहित याचिका की सुनवाई : गर्म खीर में गिरा बच्चा, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कलेक्टर से मांगा जवाब
छत्तीसगढ़ उजाला
बिलासपुर(छत्तीसगढ़ उजाला)। बिल्हा विकासखंड की शासकीय प्राथमिक शाला दोमुहानी में मध्यान्ह भोजन के लिए बनी गर्म खीर में गिरने से बच्चे के घायल होने की खबर को मिडिया ने सिलसिलेवार प्रकाशित किया। वहीं इस खबर को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है। साथ ही कलेक्टर से जवाब मांगा है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने मामले को गंभीरता से लिया है कि तीसरी क्लास का छात्र गर्म खीर के बर्तन में गिरकर बुरी तरह झुलस जाता है। बिना इलाज कराए उसे स्कूल प्रबंधन घर भेज देता है। उल्लेखनीय है कि गर्म खीर में गिरा छात्र, अस्पताल के बजाए भेज दिया घर शीर्षक से खबर को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। इसमें स्कूल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर भी किया गया था।
इसके प्रकाशन के बाद डीईओ ने भी स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी किया था। अब हाई कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद कलेक्टर से जवाब मांगा गया है। ये है पूरा मामला स्कूल में 16 दिसंबर को महिला समूह ने खीर बनाई थी। खीर व भोजन पकने के बाद समूह की महिलाओं ने प्रधान पाठक को जानकारी दी और बच्चों को भोजन करने के लिए कहा। इसके बाद बच्चे एक साथ मध्यान्ह भोजन कक्ष पहुंच गए। खीर के चारों तरफ बच्चे खड़े हो गए। इसी दौरान कक्षा तीसरी का छात्र नौ वर्षीय आदित्य कुमार धीरज उबलती खीर में गिर गया।
आनन-फानन में महिलाओं ने छात्र को उठाया। गिरने से छात्र के हाथ गंभीर रूप से जल गया। कुछ समय बाद छात्र दर्द से तड़पने लगा। वहीं शिक्षकों ने घायल छात्र को अस्पताल पहुंचाने के बजाए वापस घर भेज दिया। मामला सामने आने के बाद ग्रामीण स्कूल पहुंचे और जमकर हंगामा मचाया। इसके बाद छात्र को अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल छात्र की हालत सामान्य है।
प्रधान पाठक ने जिला शिक्षा अधिकारी को नहीं दी थी जानकारी
प्रधान पाठक व शिक्षकों ने मामले को दबाने का प्रयास किया। पहले तो छात्र के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हुए बिना इलाज के घर भेज दिया। इसके बाद विभागीय कार्रवाई के डर से अधिकारियों को जानकारी नहीं दी। मिडिया के द्वारा समाचार प्रकाशित कर मामले का उजागर किए जाने के बाद डीईओ ने संज्ञान में लेते हुए जांच के निर्देश दिए।
घायल आदित्य के स्वजन ने बताया कि हम लोग घर पर नहीं थे। मजदूरी करने गए थे। अचानक गांव वालों ने घटना के बारे में बताया। हम गरीब लोग हैं। इलाज का खर्च स्कूल प्रबंधन उठाए। शिक्षकों द्वारा लापरवाही बरती गई है, इसलिए यह हादसा हुआ है। शिक्षकों ने ही जले हुए हाथ में ठंडा पानी डाल दिया। इससे बच्चे की जान खतरे में पड़ गया था।