बिलासपुर

कांग्रेस भवन में हुए विवाद के बाद पीसीसी के निर्देश पर शहर अध्यक्ष ने पूर्व महापौर को जारी किया कारण बताओ नोटिस, पूर्व महापौर ने बंद लिफाफे में सौंपा जवाब

छत्तीसगढ उजाला

 

बिलासपुर (छत्तीसगढ उजाला)। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री व जिला संगठन प्रभारी सुबोध हरितवाल और पूर्व महापौर राजेश पांडेय के बीच कांग्रेस भवन में हुए विवाद के बाद पीसीसी के निर्देश पर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय पांडेय ने पूर्व महापौर को कारण बताओ नोटिस थमा दिया था। जारी नोटिस में पूर्व मेयर से पूरे मामले को लेकर 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा था। पूर्व महापौर पांडेय ने शुक्रवार को शहर अध्यक्ष को अपना जवाब बंद लिफाफे में सौंप दिया है।

बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज एक दिवसीय प्रवास पर बिलासपुर पहुंचे थे। नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी को लेकर वरिष्ठ कांग्रेसजनों, पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की कांग्रेस भवन में बैठक ली। बैठक के बाद जैसे ही वे कांग्रेस भवन के हाल से बाहर निकलने पूर्व महापौर राजेश पांडेय ने अपनी बात नहीं रखने के लिए पीसीसी महामंत्री हरितवाल से बात की। इस पर हरितवाल ने तल्खी दिखाते हुए कहा कि संगठन कैसे चलेगा और किस अंदाज में चलेगा इसके लिए किसी से सीखने और समझने की जरुरत नहीं है। इसी दौरान उन्होंने कुछ ऐसी भाषा का प्रयोग किया जो सार्वजनिक रूप से कतई उचित नहीं कहा जा सकता। इस पर पूर्व महापौर भड़क गए और दोनों के बीच जमकर कहासुनी और तू-तू, मैं-मैं भी हो गई।

कांग्रेस भवन में दो प्रमुख नेताओं के बीच हुए विवाद और अपशब्दों की वीडियो जब इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर प्रसारित होने लगी तब इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई। इसके बाद पीसीसी ने इस पूरे मामले को संज्ञान में लिया और शहर अध्यक्ष को अनुशासनहीनता के लिए पूर्व महापौर को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया। पीसीसी के निर्देश के बाद शहर अध्यक्ष ने पूर्व महापौर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
कांग्रेस भवन में हुए विवाद के संबंध में जब घटना के दिन शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय पांडेय से पूछा गया तब उन्होंने इसे सामान्य घटना बताया था। चंद घंटों के भीतर इसी घटना को लेकर उनके द्वारा पूर्व महापौर को नोटिस जारी करने की सूचना जैसे ही कांग्रेसजनों व कार्यकर्ताओं को लगी, प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी थी।
पूर्व महापौर को जिस तरह नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है, इसे लेकर कार्यकर्ताओं के बीच संगठन का अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। कार्यकर्ता और वरिष्ठ कांग्रेसजन दबी जुबान से एक ही बात कह रहे हैं कि बिलासपुर शहर व जिला संगठन की बागडोर बाहरी क्यों संभाले। बाहरी के भरोसे कब तक संगठन को चलाते रहेंगे। कांग्रेस भवन में जब अपनी बात रखने की बारी आती है तब बोलने नहीं दिया जाता। अपनी बात रखने की भी पाबंदी कर दी जाती है।

विधायक अटल ने भी जताई थी नाराजगी

पीसीसी चेयरमैन के सामने कांग्रेस भवन में स्थानीय संगठन के खिलाफ सबसे पहले कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव का गुस्सा फूटा था। संगठन के पदाधिकारियों द्वारा कार्यकर्ताओं की पूछपरख ना करने और सत्ताधारी दल द्वारा राजनीतिक रूप से हमला किए जाने की स्थिति में अलग-थलग छोड़ देने का आरोप भी लगाया था। जाहिर सी बात है संगठन के पदाधिकारियों के रवैये को लेकर विधायक सहित समर्थकों का गुस्सा फूटने लगा है।

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