दर्पण, आइना, शीशा ये सब एक दूसरे के पर्याय हैं। दर्पण एक ऐसी वस्तु है जो लगभग हर घरों में होती है। वैसे तो दर्पण का इस्तेमाल कई कामों के लिए होता है मसलन – चिकित्सा उपकरण, वैज्ञानिक अनुसंधान, कला और मनोरंजन, सजावट, प्रतिविंब देखाना आदि, मगर इन सब में से आमतौर पर शीशे का इस्तेमाल प्रतिविंब देखने के लिए ही किया जाता है। वास्तु शास्त्र में घर में दर्पण के रखरखाव को लेकर कई मान्यताएं हैं। वस्तु वह विज्ञान है जो किसी भी स्थान के पंच तत्वों को नियंत्रित करने में मदद करता है। माना जाता है कि दर्पण को वास्तु के अनुसार लगाने से घर में सुख-समृद्धि के साथ-साथ घर के लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसलिए आइए इस लेख में जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में दर्पण लगाने का सही तरीका क्या है।
दर्पण की दिशा
जैसा कि हम जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में दर्पण की दिशा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वास्तु विज्ञान के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह पूरब से पश्चिम की ओर एवं उत्तर से दक्षिण की ओर रहता है। यही कारण है कि दर्पण को हमेशा पूर्व और उत्तर वाली दीवारों पर इस प्रकार लगाना चाहिए कि देखने वाले का मुख पूर्व या उत्तर में रहे। दर्पण लगाते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि कभी भी दो दर्पण एक दूसरे के बिल्कुल सामने न हों। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ सकता है। साथ ही, यह सुनिश्चित करें कि दर्पण जमीन से चार से पांच फीट की ऊंचाई पर लगा हो। इसके अलावा, बिस्तर के पास बड़ा ड्रेसिंग टेबल या साइड टेबल लगाना शुभ माना जाता है। किसी भी कमरे में दर्पण लगाते वक्त इस बात का खास ध्यान रखें कि सोते समय आपका कोई भी अंग दर्पण में न दिखाई दे। पश्चिम या दक्षिण दिशा की दीवारों पर लगे दर्पण,पूर्व और उत्तर से आ रही सकारात्मक ऊर्जाओं को रिफ्लेक्ट कर देते हैं।
दर्पण का प्रतिबिंब
अगर आपके घर की खिड़की के बाहर कोई मनमोहक दृश्य है, तो दर्पण को इस तरह लगाएं कि वह उस खूबसूरत दृश्य को रिफ्लेक्ट करे। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन को प्रसन्नता मिलती है। इसके अलावा, अगर आप गंदगी या नकारात्मकता से घिरे हुए हैं, तो सामने दर्पण लगाने से वह उस नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेता है। हालाँकि, मुख्य द्वार के सामने कभी भी दर्पण या कोई भी कांच का सामान नहीं लगाना चाहिए।
बेड़रूम में न लगाएं
बेडरूम यानी "शयन कक्ष" में दर्पण नहीं लगाना चाहिए, ऐसा करने से दाम्पत्य जीवन में एक दूसरे पर विश्वास की कमी आती है। इसके साथ ही पति-पत्नी में आपसी मतभेद भी बढ़ता है एवं पति-पत्नी को कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं।
दर्पण का आकार
दर्पण खरीदते समय आपको उसके आकार का खास ध्यान रखना चाहिए। वैसे तो आकार को लेकर वास्तु शास्त्र में कोई सुझाव नहीं दिया गया है। मगर मान्याताओं के अनुसार आप चौकोर या आयताकार जैसे चार कोनों वाले आकारों में से किसी एक को चुन सकते हैं। वास्तु के अनुसार आयताकार और चौकोर आकार शुभ माना जाता है। चौकोर और आयताकार आकार के दर्पणों से आप सुंदर पैटर्न भी बना सकते हैं।
दर्पण लगाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
दर्पणों को नियमित रूप से साफ करें ताकि उनमें साफ छवि दिखाई दे।
अपने घरों के उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा में दर्पण या कोई अन्य कांच का सामान लगाएं।
यह सुनिश्चित करें कि आपके घर के प्रत्येक दर्पण की ऊंचाई चार या पांच फीट ही हो।
अपारदर्शी खिड़की के शीशे और दरवाजों से बचें। हमेशा पारदर्शी का चयन करना बेहतर होता है।
दर्पण बच्चों का ध्यान भटका सकते हैं और उनके एकाग्र होने में बाधा डाल सकते हैं, इसलिए उन्हें स्टडी टेबल के पास न लगाएं।