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रेड इज़ माई पॉवर’ अभियान के साथ काजल कसेर की पहल
रजोशक्ति जागरूकता महाअभियान : मासिक धर्म को पाठ्यक्रम में शामिल करने की उठी मांग
पामगढ़ हायर सेकेंडरी कन्या स्कूल में संवाद कार्यक्रम आयोजित


पामगढ़ (छत्तीसगढ़ उजाला)-
सावित्रीबाई फुले शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला, पामगढ़ में शनिवार को मासिक धर्म जागरूकता पर विशेष चर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम को पर्यावरण एवं सामाजिक कार्यकर्ता काजल कसेर ने ‘रेड इज़ माई पॉवर’ स्लोगन के साथ संबोधित किया। उन्होंने छात्राओं से माहवारी से जुड़े शारीरिक, मानसिक और सामाजिक पहलुओं पर खुलकर बात करने का आह्वान किया।

काजल कसेर ने चर्चा के बाद अपनी लिखित पुस्तक ‘माहवारी जागरूकता’ छात्राओं में वितरित की और कहा कि मासिक धर्म पर चर्चा से महिलाओं के स्वास्थ्य और आत्मसम्मान को नई दिशा मिलती है।

✦ मासिक धर्म शिक्षा को पाठ्यक्रम में जोड़ने की मांग

काजल कसेर ने बताया—

> “दुनिया में करोड़ों महिलाएं हर महीने इस प्रक्रिया से गुजरती हैं, फिर भी इसे आज भी कलंक, शर्म और मिथकों के घेरे में रखा जाता है।
स्कूल पाठ्यक्रम में मासिक धर्म शिक्षा शामिल करना समय की जरूरत है, ताकि बालिकाएँ वैज्ञानिक समझ और सम्मान के साथ इस प्राकृतिक प्रक्रिया को स्वीकार कर सकें।”


उन्होंने कहा कि हर 5 में से 1 लड़की के पास स्कूलों में स्वच्छ शौचालय भी उपलब्ध नहीं होते, जिससे स्वच्छता प्रबंधन चुनौतीपूर्ण बन जाता है। जागरूकता से छात्र-छात्राओं में संवेदनशीलता, सहयोग और समावेशी वातावरण विकसित होता है।

स्कूल प्रबंधन और स्टाफ की सक्रिय भूमिका

कार्यक्रम में विद्यालय की प्राचार्य शिल्पा दुबे एवं व्याख्याता रश्मि वर्मा, निर्मला रात्रि, लता रात्रे, लता सोनवानी, आरती लहरे, शेफाली, तथा स्टाफ सदस्य मोहन प्रमोद सिंह, ईश्वर खरे, विनोद भारती, निधि सोनी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में निधि लता जायसवाल का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।

बालिकाओं ने सजगता और गंभीरता के साथ कार्यक्रम में भाग लेकर अपनी जिज्ञासाओं को खुलकर रखा।

आयोजन प्रभारी विनय गुप्ता का संदेश

सोशल एक्टिविस्ट एवं AAP जिला सचिव विनय गुप्ता ने कहा

> “महिलाओं के स्वास्थ्य पर खुलकर बात हो, यह समाजिक परिवर्तन की दिशा में बड़ा कदम है। रूढ़ियों से बाहर निकलकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना बेहद जरूरी है।”



इस दौरान कुमारी कंसारी सहित अन्य शिक्षक व सहयोगीगण भी उपस्थित रहे।


📌 कार्यक्रम का सार
✔ माहवारी को कलंक नहीं—सम्मान मिले
✔ स्वास्थ्य, स्वच्छता और भावनात्मक समझ पर जोर
✔ समाज में जागरूकता व संवाद बढ़ाने का प्रयास
✔ शिक्षण संस्थाओं से निरंतर आयोजन की अपील

प्रशांत गौतम

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