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*कलेक्टर का तर्क  “Best Eco Tourism Site” के लिए सम्मान मिला जनता का सवाल “साइट कहाँ है मैडम?”*

सीजी उजाला
*रायपुर/राजमेरगढ़ : -* राजधानी रायपुर में 27 सितंबर को आयोजित विश्व पर्यटन दिवस समारोह में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिला प्रशासन को Best Eco Tourism Site 2025 के लिए राज्य स्तरीय सम्मान दिया गया। पुरस्कार लेने के बाद जब सवाल उठा कि राजमेरगढ़ में विकास कहाँ है? तो कलेक्टर का जवाब आया
*“हमें उत्कृष्ट विकास के लिए नहीं, बल्कि Best Eco Tourism Site के लिए सम्मान मिला है।”*
लेकिन सवाल यह है कि जिस ईको टूरिज्म साइट के नाम पर सम्मान मिला, वह ज़मीन पर मौजूद भी है या नहीं?

राजमेरगढ़ की हकीकत ईको नहीं, बस कंक्रीट राजमेरगढ़, जिसे पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन केंद्र (Eco Tourism Site) कहा गया, वहाँ आज जर्जर सड़कें, अधूरे भवन और वीरान ढांचे खड़े हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पर्यटन तो दूर, यहाँ पहुँचने का रास्ता तक सही नहीं है।

*परियोजना का उद्देश्य था -*
प्रकृति की रक्षा के साथ पर्यटन विकास। मगर न प्रकृति बची, न विकास दिखा। जंगलों के बीच कंक्रीट की दीवारें खड़ी कर दी गईं, जिनका काम दो साल से अधूरा है।

*ईको टूरिज्म का मतलब समझना ज़रूरी*
विशेषज्ञों का कहना है ईको टूरिज्म केवल प्राकृतिक सौंदर्य नहीं, बल्कि ऐसा मॉडल है जो पर्यावरण-संरक्षण, स्थानीय रोजगार और टिकाऊ विकास का संगम हो। लेकिन राजमेरगढ़ में तीनों ही पहलू गायब हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पहले ही निर्देश दिए थे कि यहाँ कंक्रीट निर्माण नहीं होना चाहिए,फिर भी यहाँ करोड़ों का सीमेंट जंगल खड़ा कर दिया गया। ऐसे में ईको टूरिज्म का पुरस्कार,वास्तविकता से ज़्यादा फाइलों का उत्सव लगता है।



*पुरस्कार मिला, सवाल बाकी -*
कलेक्टर का तर्क प्रशासनिक रूप से भी सही नही है। चूंकि जमीनी तर्क से यह जवाब आधे सच का सहारा लगता है। क्योंकि ईको टूरिज्म साइट अगर उत्कृष्ट है, तो वह साइट कहाँ है जो पर्यटकों को आकर्षित करे? कहाँ हैं वो सुविधाएँ, वो ढांचे, जिनका हवाला दिया गया? राजमेरगढ़ की पहाड़ियों से यही आवाज़ उठ रही है पुरस्कार मिल गया, पर प्रकृति और सच्चाई दोनों अब भी इंतज़ार में हैं।


कभी मिनी अमरकंटक के नाम पर करोड़ों, फिर इको-टूरिज्म के नाम पर और करोड़ों पर नतीजा वही खंडहर। अब जब उसी अधूरी परियोजना को सर्वश्रेष्ठ ईको टूरिज्म साइट कहकर पुरस्कृत किया गया, तो यह सवाल खुद-ब-खुद गूंजने लगा है अगर यही ईको टूरिज्म है, तो पर्यावरण की परिभाषा कौन लिखेगा?”सरकार को इस मामले पर एक जांच समिति बैठालने की आवश्यकता है.पर अब सरकार इस मामले पर क्या करेगी यह देखना फिलहाल बाकी है।

प्रशांत गौतम

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