गौरेला पेंड्रा मरवाही

“निष्क्रिय सरपंच, सक्रिय पति और बेपरवाह सचिव — ओमकार मरावी व रामसिंह की जोड़ी ने रुमगा और सेखवा पंचायत को बना दिया भ्रष्टाचार का गढ़”

मरवाही(छत्तीसगढ़ उजाला)-जनपद पंचायत मरवाही के ग्राम पंचायत सेखवा में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं का सिलसिला जारी 15वें वित्त आयोग की राशि का मनमाना उपयोग और फर्जी बिलों के ज़रिए लाखों की निकासी पंचायत के अंदर गहरी जड़ें जमा चुका है।

“रुमगा सचिव” (शेखवा सरपंच पति )चला रहा सेखवा पंचायत का सारा खेल

पंचायत की महिला सरपंच पूरी तरह निष्क्रिय हैं, जबकि उनके पति रामसिंह, जो स्वयं रुमगा पंचायत के सचिव हैं, सेखवा पंचायत का पूरा संचालन कर रहे हैं।
सचिव ओमकार मरावी और रामसिंह की मिलीभगत से फर्जी बिलों के ज़रिए सरकारी राशि का गबन किया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, पंचायत में “विकास” नाम की चीज़ सिर्फ़ कागज़ों में है — असल में पूरा खेल बिल और भुगतान का है।

हार्डवेयर की दुकान से निकला ‘बूंदी-सेव’ का बिल — और भी कई गड़बड़ियाँ सामने

पंचायत के रिकॉर्ड में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि 15 अगस्त के आयोजन के लिए ₹20,640 का बिल बूंदी, सेव और मिठाई के नाम से पास किया गया, जबकि भुगतान “साहू हार्डवेयर” नामक फर्म को किया गया — जो असल में मटेरियल और निर्माण सामग्री सप्लाई करने वाली दुकान है।

लेकिन यह कोई नई कहानी नहीं है — ऐसे कई फर्जी और हेराफेरी वाले बिल पहले भी निकाले गए हैं।
कभी निर्माण सामग्री का बिल सांस्कृतिक कार्यक्रमों के नाम पर, तो कभी सजावट और खानपान के खर्च में हार्डवेयर दुकानों के भुगतान के रूप में दिखाया गया।

“शेखवा पंचायत में ऐसे कई घालमेल पहले भी हो चुके हैं, जहाँ बिल फर्जी बनाकर पैसे निकाले गए। यह तो बस एक मिसाल है,”

सरपंच बोलीं ‘बिल सचिव ने बनाया’, मगर मुहर और हस्ताक्षर उनके

जब सरपंच से इस फर्जी बिल पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि बिल सचिव ओमकार मरावी ने तैयार किया।
लेकिन बिल की प्रति में सरपंच की मुहर और हस्ताक्षर दोनों मौजूद हैं। इससे साफ़ है कि यह कोई “अनजाने में हुई गलती” नहीं, बल्कि मिलीभगत से रचा गया भ्रष्टाचार का खेल है।

ओमकार मरावी की दोहरी भूमिका — पंचायत में नाम, बाहर व्यापार

सचिव ओमकार मरावी पहले परासी पंचायत में पदस्थ थे, जहाँ वित्तीय अनियमितताओं के कारण उन्हें हटाया गया था।
अब सेखवा में वे वही फर्जी भुगतान और बिलिंग का तरीका दोहरा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ओमकार मरावी पंचायत के कार्यों से अधिक अपने ‘हर्बल लाइफ’ के व्यवसाय में व्यस्त रहते हैं।
जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा —

“नौकरी में क्या रखा है, इससे ज्यादा तो मैं हर्बल लाइफ से कमा लेता हूँ।”
यह बयान उनके सरकारी दायित्वों की गंभीरता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।

रुमगा और सेखवा — दोनों पंचायतों में भ्रष्टाचार की एक ही पटकथा

रामसिंह के खिलाफ रुमगा पंचायत में भी बिना काम के भुगतान और फर्जी आहरण के आरोप पहले से लगे हैं।
अब उनकी पत्नी के सेखवा पंचायत की सरपंच बनने के बाद, वही भ्रष्टाचार का ‘रुमगा मॉडल’ सेखवा में लागू कर दिया गया है।“अब पंचायत के विकास से ज्यादा ध्यान इस बात पर है कि पैसे कैसे निकाले जाएं।”

प्रशासन से जांच की मांग

प्रशासन द्वारा सेखवा, रुमगा और परासी पंचायतों की वित्तीय जांच कराई जाए, रामसिंह और ओमकार मरावी को उच्च स्तर से संरक्षण प्राप्त है, तभी ये दोनों खुलेआम फर्जी बिल और भुगतान की हेराफेरी कर रहे हैं।

“अगर प्रशासन ने जल्द जांच नहीं की तो पंचायत का सारा धन कागजों पर ही खत्म हो जाएगा,”

सेखवा पंचायत आज भ्रष्टाचार की जीवंत मिसाल बन चुकी है — जहाँ विकास के नाम पर फर्जी बिलों का साम्राज्य और दो अधिकारियों की मनमानी चल रही है।

प्रशांत गौतम

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