ब्रेकिंग न्यूज

कुड़कई पंचायत में सरपंच-सचिव की मिलीभगत, भ्रष्टाचार ने पसारे पांव, अधिकारियों के संरक्षण में जारी मनमानी


जी. पी. एम. (छत्तीशगढ़ उजाला)-ग्राम पंचायत कुड़कई में सरपंच और सचिव के गठजोड़ ने पंचायत व्यवस्था की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। विकास कार्यों के नाम पर चल रहा भ्रष्टाचार अब खुलेआम चर्चा का विषय बन गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत की अधिकांश योजनाओं में अनियमितता, फर्जी बिलिंग और मनमाने भुगतान किए जा रहे हैं, जिनमें सरपंच और सचिव की मिलीभगत साफ दिखाई देती है।

ग्रामीणों के अनुसार, नाली निर्माण, शौचालय योजना, सड़क मरम्मत और पंचायत भवन निर्माण जैसे कई कार्यों में भारी गड़बड़ियाँ हुई हैं। कई स्थानों पर कार्य अधूरे हैं, लेकिन बिलों का पूरा भुगतान कर दिया गया। वहीं, कुछ योजनाओं में तो बिना कार्य किए ही राशि निकाले जाने के आरोप हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी शिकायत की जाती है, तो उच्च अधिकारी मामले को दबा देते हैं। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें पंचायत से लेकर विभागीय दफ्तरों तक फैली हुई हैं।

एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया —

> “यहां अधिकारी भी संरक्षण देते हैं। शिकायत करने पर कार्रवाई की जगह उल्टा दबाव बनाया जाता है। विकास के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति होती है।”


सूत्रों के अनुसार, सरपंच और सचिव की जोड़ी लंबे समय से ठेकेदारों के साथ सांठगांठ कर फर्जी भुगतान करवा रही है। पंचायत निरीक्षण के लिए आने वाले अधिकारी भी अपनी आंखें मूंद लेते हैं।

अब यह मामला तेजी से तूल पकड़ रहा है। ग्रामीणों ने तय किया है कि आगामी मुख्यमंत्री दौरे के दौरान वे लिखित शिकायत सौंपकर उच्च स्तरीय जांच की मांग करेंगे।

इधर, शिकायत के बाद पंचायत में अन्य अनियमितताएं भी सामने आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक, हाल ही में पशु पंजीयन ठेका, नहर सफाई और सीसी रोड निर्माण कार्यों में भी गड़बड़ियों की शिकायतें मिली हैं। बताया जा रहा है कि सचिव द्वारा इन योजनाओं में राशि आहरण कर बिना कार्य पूर्ण किए भुगतान कर दिया गया।

ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत में भ्रष्टाचार की यह परंपरा अब व्यवस्था का हिस्सा बन चुकी है, और यदि समय रहते जांच नहीं की गई तो आने वाले दिनों में यह गंभीर घोटाले का रूप ले सकती है।

> “भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वाले भी उतने ही दोषी हैं जितने करने वाले” — ग्रामीणों की आवाज़ अब दबने वाली नहीं।

प्रशांत गौतम

Related Articles

Back to top button