गौरेला पेंड्रा मरवाही

19 लाख का DMF फंड घोटाला: पंचायत को दरकिनार कर हो रहा निर्माण, पंच बोले – “इस्तीफा देंगे, धरना भी करेंगे”



जी. पी. एम. (छत्तीशगढ़ उजाला)-जनपद पंचायत गौरेला एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गई है। ग्राम पंचायत सारबहरा में 19 लाख रुपये की लागत से पार्किंग निर्माण का काम शुरू कराया गया, लेकिन यह हैरानी की बात है कि इस योजना की जानकारी न सरपंच को है, न सचिव को और न ही पंचों को। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि यह उनके अधिकारों का खुला उल्लंघन है। अगर प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की तो वे सामूहिक इस्तीफा देकर जनपद कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना देने मजबूर होंगे।

मामले को और गंभीर बना दिया निर्माण कार्य संभाल रहे ठेकेदार संतोष तिवारी के बयान ने:-तिवारी ने खुलेआम कहा कि उसने यह काम लेने के लिए 15% कमीशन दिया है, इसलिए उसे काम करना ही पड़ेगा।

इस कथन से साफ है कि जनपद पंचायत में भ्रष्टाचार किस स्तर पर चल रहा है और योजनाओं की राशि किस तरह पहले से “बांटी” जा रही है। ग्रामीणों और पंचों का आरोप है कि पार्किंग की वास्तविक लागत 5 से 7 लाख रुपये से अधिक नहीं है, ऐसे में बाकी के 12 से 14 लाख आखिर किसकी जेब में जाएंगे – यही बड़ा सवाल है।

पंचों का कहना है कि पहले से बने ढांचों को तोड़कर यह काम शुरू किया गया है। एजेंसी के नाम पर पंचायत का नाम दिखाया जा रहा है, लेकिन उनके पास न कोई दस्तावेज हैं और न ही किसी बैठक में इसकी मंजूरी दी गई। प्रतिनिधियों ने 23 सितंबर को सीईओ जनपद पंचायत को शिकायत दी थी, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद 26 सितंबर को कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें पंचों ने साफ चेतावनी दी कि यदि निर्माण पर रोक नहीं लगी तो वे सब इस्तीफा देंगे और आंदोलन करेंगे।

यह विवाद केवल एक पार्किंग तक सीमित नहीं है, बल्कि पंचायती राज की मूल भावना पर भी चोट करता है। पंचायती व्यवस्था का मकसद ग्राम पंचायतों को निर्णय का अधिकार देना है, लेकिन यहां योजनाएं बिना उनकी सहमति के लागू की जा रही हैं।

जनपद पंचायत गौरेला पर पहले भी वित्तीय अनियमितताओं और 15वें वित्त आयोग की राशि में गड़बड़ी के आरोप लग चुके हैं। अब DMF जैसी अहम योजना में भी घोटाले के आरोप यह साबित करते हैं कि भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं। DMF फंड खनन प्रभावित इलाकों के विकास के लिए बनाया गया था, लेकिन यह अब कुछ लोगों की निजी कमाई का जरिया बन चुका है।

गांव के पंच और ग्रामीण साफ कह रहे हैं कि जब तक दोषियों पर कठोर कार्रवाई और पारदर्शी जांच नहीं होती, उनका संघर्ष जारी रहेगा। वहीं, जिला प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि इतने गंभीर मामले पर कार्रवाई क्यों टल रही है। अगर प्रशासन ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो यह विवाद पूरे जिले में बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकता है।

प्रशांत गौतम

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