*पत्रकारों के विरोध पर स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी ने ‘मीडिया सेंसरशिप’ पर लगाया रोक, पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा – क्या कमी छिपा रहे हो?*
छत्तीसगढ़ उजाला

रायपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। प्रदेश के सरकारी अस्पतालोें में कवरेज के लिये ‘मीडिया सेंसरशिप’ को लेकर जारी आदेश का आज 18 जून को रायपुर में पत्रकारों की ओर से विरोध जताया गया। पत्रकारों ने इस ‘तुगलकी आदेश’ की प्रतिया भी जलाई। आदेश को लेकर नाराजगी जताई। इसके बाद साय सरकार ने जारी अपने आदेश पर रोक लगा दी है। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने रायपुर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में मीडिया प्रबंधन के लिए जारी किए निर्देशों को तत्काल प्रभाव से रोकने की घोषणा कर दी है। यह निर्णय मीडिया की अहम भूमिका और स्वास्थ्य क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने वीडियो जारी कर कहा कि मीडिया का सम्मान हमारे नजरों में सदैव से रहा है। फिलहाल मीडिया प्रबंधन के लिए जारी दिशा निर्देशों पर रोक लगा रहा हूं। किसी भी प्रकार का निर्णय सभी मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करने के बाद ही लिया जायेगा।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कसा तंज
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग की नए सरकारी प्रोटोकॉल को लेकर तंज कसा है। उन्होंने अपने पोस्ट पर लिखा कि “तुम इतना जो घबरा रहे हो, क्या कमी है जिसे छिपा रहे हो ?”
स्वास्थ्य विभाग में मीडिया के लिए आपातकाल घोषित किया- बैज
प्रोटोकॉल जारी करने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि, जब से भाजपा की सरकार बनी है। स्वास्थ्य विभाग का हाल बुरा हो चुका है, सरकार ने अपनी नाकामी को छुपाने के लिए मीडिया का अस्पताल में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग में मीडिया के लिए आपातकाल घोषित कर दिया है।
विधायक देवेंद्र यादव ने कहा – मैं सरकार को चिट्ठी लिखूंगा
राज्य सरकार का यह फरमान तुगलकी है। अब हर अस्पताल में जनसंपर्क अधिकारी ही चिकित्सकों के आधार पर रिपोर्टस बनाकर मीडियाकर्मियों को भेजेगा। वो डायरेक्ट कवरेज नहीं कर सकेंगे। इसलिए सरकार इस पर दोबारा विचार करे। मैं भी सरकार को पत्र लिखूंगा।
पत्रकारों के साथ ऐसा व्यवहार है निंदनीय – पूर्व विधायक शैलेश पांडेय
पूर्व बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय ने कहा कि सरकार आखिर यह आदेश से क्या साबित करना चाहती है, जोकि अब पत्रकारिता क्या सरकार के इशारों पर करनी होगी हमारे पत्रकार बंधुओं को यह आदेश की मैं कड़ी निन्दा करता हूं। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
सुलगते सवाल!
कुल मिलाकर सवाल ये है कि सरकार सरकारी अस्पतालों में मीडिया के लिये नियम-कायदे कानून बनाने से पीछे नहीं हट रही है। मीडिया के लिये आवश्यक चर्चा के बाद ड्राफ्ट बनाने की बात कही गई है। इस तरह के ‘काले कानून’ को लेकर छत्तीसगढ़ के पत्रकार लगातार विरोध कर रहे हैं फिर भी सरकार न जाने क्यों मीडिया प्रबंधन के लिये डॉफ्ट बनाने पर तुली हुई है। फिलहाल, स्वास्थ्य सचिव विदेश दौरे पर हैं, उनके आने के बाद इस मामले में मीडिया के प्रतिनिधियों से चर्चा कर मीडिया और अस्पताल हित में निर्णय लिये जायेंगे।
जानें क्या था इस आदेश में
- सभी अस्पतालों में पीआरओ नियुक्त किया जाएगा।
- अस्पताल का कोई भी अधिकारी-कर्मचारी सीधे मीडिया से संपर्क नहीं करेगा।
- मीडिया को किसी भी रोगी फोटो,वीडियो या जानकारी नहीं लेने दी जाएगी।
- मरीजों के वॉर्डों में घुसने पर मीडिया पर सख्त पाबंदी लगाई जाए।
- किसी भी घटना दुर्घटना पर रोगियों के नाम और पहचान न बताई जाए।
- मीडिया को अस्पताल परिसर में जाने से पहले पीआरओ की अनुमति लेनी होगी।
- फोटो वीडियो की अनुमति उस जगह ही दी जाएगी जहां कोई रोगी न हो।
- लाइव कवरेज के लिए स्थान नियत किया जाएगा।
- अस्पताल से संबंधित जानकारी के लिए एक सिस्टम बनाया जाएगा।
- मीडिया को प्रेस विज्ञप्ति या प्रेस कान्फ्रेंस के जरिए जानकारी दी जाए।
- यह जानकारी सटीक और आधिकारिक हो।
- किसी बड़ी दुर्घटना या आपातकालीन स्थिति में यह तय किया जाए कि मीडिया को कब और कैसे जानकारी देनी है।
- एक स्थान तय किया जाए जहां पर पीआरओ मीडिया को इकट्ठा कर जानकारी दें।
- अस्पतालों के सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी शेयर करने के लिए नीति बने।
चिकित्सा शिक्षा विभाग का आदेश
ये आदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव ने जारी किया है। 13 जून को जारी इस आदेश में कहा गया है कि इस प्रोटोकॉल को पांच दिनों में लागू किया जाये
प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर होगी कार्रवाई
आदेश में कहा गया है कि इस प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर कार्यवाही की जाएगी। जो पत्रकार इस नियम का उल्लंघन करेंगे उनके मीडिया संस्थान के संपादक या प्रमुख को इसकी शिकायत की जाएगी।