छत्तीसगढ

राजधानी के निगम अफसरों की मनमानी….ठेले वाले आज रोने को मजबूर…..सुशासन की सरकार की गिरती छवि….

रायपुर छत्तीसगढ़ उजाला

सुशासन की सत्ता से आम लोगों को जो भी उम्मीद थी वो सब अब टूटती नजर आ रही हैं.राज्य मे विकास किसका हो रहा है य़ह अब जनता को भी समझ मे आने लगा हैं. अफसरों के तुगलकी फरमान से आम जनता त्रस्त हो चुकी हैं.अपने परिवार को पालने के आज कई वर्षो से ठेला लगाने वाले लाचार नज़र आ रहे हैं.जीई रोड सहित राजधानी के कई सड़कों मे ठेला लगाकर अपना और अपने परिवार का पालन करने वाले बेरोजगारी मे जीने को मजबूर हैं.आखिर इनसे प्रशासन को क्या तकलीफ हैं.य़ह बात किसी को भी समझ में नहीं आई.चौड़ी सड़कों के किनारे अपनी अस्थायी दुकान लगाकर जो काम धंधा कर रहे थे.उनको सुशासन की सरकार में बेरोजगार कर दिया हैं.

जीई रोड में ठेला लगाने वाले आज दर दर भटक रहे हैं.उनको आज खाने के लाले पड़े हुए हैं.आखिर ऐसी सरकार किसके लिए हैं जो गरीबों को जीने का भी अधिकार नहीं देती है.गरीबों के लिए बड़ी बात करने वाली साय सरकार आज गरीबों को उजाड़ने में लगी हुई हैं.आज हमारी मुलाकात एक ठेले वाले से हुई उनका कहना था कि साहब हमारे घर में खाने के लाले पड़ गए हैं.कांग्रेस की सरकार में कभी किसी को परेशान नहीं किया जाता था पर आज की सरकार में पुलिस वाले और नगर निगम ने हमको ठेला लगाने  से मना किया हैं.अब ऐसी स्थिति में हम सभी लोग बेरोजगार हो गए हैं.हमने अपनी समस्याओं को बताया पर अब तक निगम वाले हमारे मामले का समाधान नहीं कर रहे हैं.अब हम लोग किसके पास जाए.ऐसा ही रहा तो हम लोग भूख से मर जायेंगे.निगम के साहब लोगों के चक्कर मे हमारा परिवार पीड़ित हैं.

कुल मिलाकर सरकारी अफसरों की मनमानी सुशासन की सरकार में खुलकर चल रही है.क्या इन ठेले वालों के बारे मे सरकार कभी कोई विचार करेगी या नहीं यह देखना बाकी हैं.नगर निगम के आयुक्त को इस मामले में विचार विमर्श करने की आवश्यकता हैं.आज सैकड़ों लोगों के पास जीविकोपार्जन का साधन नहीं रहा.सूबे के मुख्यमंत्री को इस बड़े मामले में मनन करने की आवश्यकता हैं.

Anil Mishra

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