अजब सरकार के ग़ज़ब कारनामें……एक अफसर के सामने नतमस्तक सरकार…..करोडों का खेल करने वाले तीर्थराज सरकार की गोद में…….एक घोटाले में शामिल लोगों को जेल दुसरे घोटाले में शामिल अफसर को बनाया मंत्री का ओएसडी…..

छत्तीसगढ़ उजाला
रायपुर:
छत्तीसगढ़ में जमीनों का खेल आज की बात नहीं हैं वर्षो से यहां जमीनों का बड़ा खेल चलाया जा रहा है.इस खेल में जमीन माफिया और भ्रष्ट नौकरशाही की मिलीभगत हैं पहले जहां केवल नौकरशाही इनके साथ शामिल थी अब तो निचले स्तर तक के शासकीय कर्मचारी भी भूमाफियाओ के साथ मिलकर करोडों अरबों का खेल कर रहे हैं.भारत माला प्रोजेक्ट के साथ ही रायगढ़ जिले के 500 करोड़ रुपये के एक बड़े घोटाले से जुड़ा मामला है जो एक बार फिर सुर्खियों में है। इस प्रकरण में तत्कालीन एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल के लिए कभी गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था, लेकिन अब इस अफसर को सुशासन की सरकार से क्लीन चिट मिल गई है। इस फैसले ने सरकार के छवी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है.सुशासन की कोरी कल्पना ही की जा रही हैं.साय सरकार की ईमानदारी और जवाबदेही पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। जिस अधिकारी पर कभी जांच की आंच थी, वह आज सरकार के वन व सिंचाई मंत्री का ओएसडी बनकर पूरा विभाग सम्हाल रहा हैं.इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालने के लिए सरकार को और कोई भी काबिल व ईमानदार अफसर नजर नहीं आया.जो कि अपने आपमें समझ से परे हैं.
यह मामला भी जमीनों से जुड़ा हुआ हैं.इस बड़े खेल में करोडों का चूना सरकार को ही लगाया गया था. तीर्थ राज अग्रवाल का नाम सामने आया था. उस समय रायगढ के तत्कालीन कलेक्टर मुकेश बंसल ने इस अफसर के खिलाफ कार्रवाही करने की अनुशंसा राज्य सरकार से की थी.आज ias मुकेश बंसल और उस समय के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राहुल भगत साय सरकार में सूबे के मुखिया के कार्यालय में पदस्थ है.पर अब उस अफसर पर कार्रवाही करने की कोई आवश्यकता इन अफसरों को नजर नहीं आ रही है.एक समय में तीर्थराज अग्रवाल पर कार्रवाई की तलवार लटक रही थी। गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद ऐसा लग रहा था कि मामले की तह तक जाया जाएगा, लेकिन अचानक उन्हें क्लीन चिट मिलने की खबर ने सबको चौका दिया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह क्लीन चिट किस विशेष वज़ह से दी गई? शासन की ओर से इस निर्णय को लेने की उत्सुकता क्यों थी य़ह सब जांच का विषय हैं.इतने बड़े मामले में विपक्ष ने भी अपनी चुप्पी क्यों बनाई हुई हैं?
करोडों के खेल का पूरा मामला क्या है?
साल 2014 में राज्य प्रशासनिक सेवा के 2008 बैच के अधिकारी तीर्थराज अग्रवाल रायगढ़ में एसडीएम थे, उस समय एनटीपीसी के लारा प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण चल रहा था. आरोप है कि एसडीएम ने कुछ जमीन अधिग्रहित कर एनटीपीसी को टिका दी और बदले में मुआवजे के नाम पर 500 करोड़ रुपये का खेल कर दिया था. यह खेल इतना बड़ा था कि एनटीपीसी समेत तत्कालीन कलेक्टर मुकेश बंसल भी हिल गए थे. उन्होंने नाराज होकर इसकी जांच कराई और 1300 पेज की जांच रिपोर्ट सरकार को भेजी. कलेक्टर ने एसपी राहुल भगत से बात कर पुलिस में मुकदमा भी दर्ज कराया था. कलेक्टर की रिपोर्ट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने एसडीएम को सस्पेंड कर दिया था. करीब पौने दो साल तक सस्पेंड रहने के बाद 2016 में बहाल कर दिया गया था.
इस आधारहीन क्लीन चिट के पीछे पर्दे के पीछे बहुत सी कहानियां बाजारों में चल रही हैं। बिना किसी वसूली के, एक बड़े घोटाले के भ्रष्ट अफसर को बरी कर देना लोगों को समझ में तो आ रहा हैं.कई बाते लोगों में चल रही हैं. प्रदेश की नौकरशाही निरंकुश हो चुकी हैं.प्रदेश के नेता भी इन के सामने नतमस्तक हों चुकी हैं.आम जनता के बीच यह बात भी आ चुकी है कि पॉवरफूल लोगों के लिए कानून के मायने भी अलग अलग हैं। सुशासन की सरकार में भ्रष्टाचार का पैमाना अलग अलग निर्धारित किया गया हैं.भारत माला प्रोजेक्ट में जमीन के खेल में गिरफ्तारी की जा रही है वहीं दूसरे जमीन के घोटाले में शामिल अफसर को मंत्री का ओएसडी बनाकर सुशासन लागू करवाने की जिम्मेदारी सौपी गई हैं. ऐसी स्थिति में सुशासन के लिए एक चिंता तो बनती है।अब एक अफसर पर इतनी मेहरबानी किसके निर्देश पर की गई हैं.य़ह जांच का विषय हैं.