पश्चिम बंगाल में संदेशखाली की घटना से आक्रोशित महिलाओं ने मुख्यमंत्री ममता का फूंका पुतला,
छत्तीसगढ उजाला
बिलासपुर (छत्तीसगढ उजाला)। पश्चिम बंगाल में संदेशखाली की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। महिलाओं का यौन उत्पीड़न और उनके साथ हुई बर्बरता मामले में बंगाल सरकार की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। भाजपा इस मामले को लेकर ममता बनर्जी पर आक्रामक रुख अख्तियार की हुई है। यही वजह है कि भाजपा पूरे प्रदेश भर में ममता सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन कर रही है।
शुक्रवार को भाजपा महिला और युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने ममता बनर्जी का पुतला फूंक कर अपना विरोध प्रदेशन किया। पुराना बस स्टैंड स्थित डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौक में हुए इस प्रदर्शन में भाजपाइयों ने कहा कि ममता सरकार की प्रकृति शुरू से ही अराजक रही है। प्रदेश में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। तृणमूल कांग्रेस के संरक्षण प्राप्त कर हिंसा अवैध व्यापार महिलाओं के उत्पीड़न ओर हिंसा से रहा है। संदेशखाली की घटना सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है। इसकी जितनी भी आलोचना की जाए कम है। महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पूजा विधानी ने कहा कि यह बड़े ही शर्म की बात है कि जिस प्रांत में एक महिला मुख्यमंत्री है उसी प्रांत में महिलाओं के प्रति घिनौने कृत्य किए जा रहे हैं।
महिलाओं की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने वाला बेखौफ होकर अपराध करता रहा। अपराध पर अपराध किए और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता दीदी उन्हें सत्ता का संरक्षण देती रही। खुद महिला होकर इस तरह का संरक्षण देना कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं।
जयश्री चौकसे, जिला अध्यक्ष महिला मोर्चा
यह बड़े ही शर्म की बात है कि जिस प्रांत में एक महिला मुख्यमंत्री हैं उसी प्रांत में महिलाओं के प्रति घिनौने कृत्य किए जा रहे हैं। अपराधी खुलेआम घूम रहा है। सरकार आंख मूंदकर बैठी है।
पूजा विधानी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महिला मोर्चा
ममता बनर्जी की सरकार अपराधियों पर कार्यवाही करने में 55 दिन लगा दिए। इस बीच महिलाए चीखती रहीं, न्याय की गुहार लगाते रहीं पर ममता दीदी जानबूझकर मौन होकर तमाशा देखती रहीं। महिलाओं के साथ इस तरह का अत्याचार को हम सहन नहीं कर सकते हैं। मानवता को लज्जित करने वालीं इस घटना को लेकर समूचा विपक्ष मौन है। सालो से अनगिनत महिलाओं का यौन उत्पीड़न होता रहा। आरोपी सत्ता संरक्षण में बेखौफ अपने गलत मंसूबों को अंजाम देते रहे। आदिवासी दलित महिलाओं के मानवाधिकार को नजरंदाज किया गया ऐसे मौके पर विपक्ष अपने राजनीतिक स्वार्थ और तुष्टिकरण की क्षुद्र राजनीतिक संभावना तलाश रही है।
निखिल केशरवानी, अधक्ष युवा मोर्चा